Book Title: Bruhadaloyana
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 19
________________ ( १७ ) ॥ २४० ॥ विकार तेमां मनगमती राग को अणगमतीचं द्वेष कस्यो तथा संयम तप व्यादिकने वि षे रति करी कराइ अनुमोदी तथा प्रारंभादिक अ संयम प्रमादमां रति नाव कया कराया अनुमोद्या ॥ १६ ॥ सन्तरमुं मायामोसो पापस्थानक सो कपट सहित जूठ बोल्या ॥ १७ ॥ दारमुं मिथ्यादर्शन श व्य सो श्री जिनेश्वर देवके मार्गमें शंका कंखादिक वि परीत प्ररूपणा करी कराइ अनुमोदी ॥ १८ ॥ इत्यादि क इहां टार पापस्थानोंकी यालोयणा सो विशेष वि स्तारें आपसे बने जिस मुजब कहनी ॥ एवं प्रढार पा पस्थानक सोइव्यथकी क्षेत्रथकी कालयकी नावथकी जानतां जानतां मन वचन अरु कायायें करी सेव्यां सेवराव्यां अनुमोद्यां यर्थे नर्थे धर्मार्थे कामवरों मोहवशें स्वरों परवरों दीयावा राश्वा एगोवा परि सागवा सूतेवा जागरमाऐवा इननवमें पहेलां सं ख्याता संख्याता अनंता जवांमें नवज्रमण करतां आजदिन तां संवत् १९३० के महाबुदि सप्तमी तां अथवा वर्त्तमान जो संवत महीना तिथि होवें सो की. इन बखत तां राग द्वेष विषय कषाय खा लस प्रमादादिक पौलिक प्रपंच पर गुण पर्यायकी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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