Book Title: Bruhadaloyana
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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विकल्प नूल करी, झानकी विराधना करी, दर्शनकी विराधना करी, चारित्रकी विराधना करी, चारित्राचा रित्रकी तपकी विराधना करी, शुक्ष अक्षा शीत संतोष दमादिक निज स्वरूपकी विराधना करी, उपशम वि वेक संवर सामायिक पोसह पडिक्कमणा ध्यान मौ नादि नियम व्रत पञ्चरकाण दान शील तप प्रमुखकी विराधना करी, परम कल्याणकारी इन बोलोंकी आ राधना पालनादिक मन वचन अरु कायासें करी न ही, करावी नही, अनुमोदी नही ॥ बही यावश्यक सम्यक प्रकारे विधि नपयोग सहित आराध्या नही, पाव्या नही, फरस्या नही, विधि उपयोगरहित निरा दरपणे कस्या, परंतु यादर सत्कार नाव नक्ति सहि त नहीं कस्या, झानका चौद, समकेतका पांच, बा रां व्रतका शात, कर्मादानका पंदर, संलेषणाका पांच, एवं नवाणु अतिचारमाहे तथा १२४ अतिचारमा हे तथा साधुजीका १२५ अतिचार मांहे तथा बाव न अनाचिरणका श्रधानादिकमें विराधनादिक जे को अतिकम व्यतिक्रम अतिचारादि सेव्या सेवाया अनुमो द्याजानतां अजानतां मन वचन कायायें करी ते मुजे धिक्कार धिक्कार वारंवार मिजामि मुक्कडं. मैने जीवळू
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