Book Title: Bruhad Shanti Mantra tatha Shanti Pooja Mahavidhi
Author(s): Rajchandrasuri
Publisher: Parmatma Bhaktirasik Trust Palitana

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Page 9
________________ * भगवते श्रीमते ठः ठः ठः () श्रीरस्तु ! सिद्धिरस्तु ! वृद्धिरस्तु ! तृष्टिरस्तु ! पृष्टिरस्तु * ! शान्तिरस्तु ! कान्तिरस्तु ! कल्याणमस्तु स्वाहा ! ॐ निखिलभुवन भवमंगलीभूत जिनपति च्यवन समय सम्प्राप्ताः ! वरम् अभिनव कर्पुर * कालागुरु कुंकुंम हरि चंदनाद्यनेक सुगन्धि बन्धुर गन्ध द्रव्य सम्भार सम्बन्ध बन्धुर मखिल * दिगन्तराल व्याप्त सौरभातिशय समाकृष्ट समद सामज कपोल तल विगलित - मदमुदित मधुकर - निकरार्हत् परमेश्वर पवित्रतर गात्रस्पर्शनमात्र पवित्रिभूत भगवदिदं गन्धोदक धाराः वर्षमशेष हर्ष निबन्धनं भवतु ! शान्तिं करोतु ! कान्ति माविष्करोतु ! कल्याण प्रादुः करोतु ! सौभाग्यं सन्तनोतु ! आरोग्यं मातनोतु ! सम्पदं सम्पादयतु ! विपदमवसादयतु ! यशो विकासयतु ! मनः प्रसादयतु ! आयु द्रघयतु ! श्रियं श्लाघयतु ! शुद्धिं विशुद्धयतु ! बुद्धिं विवर्धयतु ! श्रेयः पुष्णातु ! प्रत्यवायं मुष्णातु ! अनभिमतं निवारयतु ! मनोरथं * परिपूरयतु ! परमोत्सव कारणमिदं ! परम मंगलमिदं ! परम पावनमिदं ! स्वस्त्यस्तु नः ! स्वस्त्यस्तु वः इवीं क्ष्वीं हं सः असिआउसा स्वाहा ।। Jain Education International ************** (८) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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