Book Title: Bruhad Shanti Mantra tatha Shanti Pooja Mahavidhi
Author(s): Rajchandrasuri
Publisher: Parmatma Bhaktirasik Trust Palitana

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Page 10
________________ ___ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते त्रैलोक्यनाथाय घाति कर्म विनाशकाय अष्टमहाप्रातिहार्य साहिताय चतुस्त्रिंशदतिशय समेताय ! अनन्त दर्शन ज्ञान वीर्य सुखात्मकाय ! अष्टादश दोष रहिताय ! पञ्च महाकल्याण सम्पूर्णाय ! नव केवल लब्धि समन्विताय ! दश विशेषण संयुक्ताय ! देवाधिदेवाय ! धर्मचक्राधिश्वराय ! धर्मोपदेशन कराय ! चमर वैरोचनाच्युतेन्द्र प्रभृतीन्द्र शतेन मेरु गिरि शिखर शेखरी भूत पाण्डुक शिला तलेनगन्धोदक परिपूरितानेक + - विचित्र मणिमय - मंगलकलशैरभिषिक्त - मिदानि महं त्रैलोक्येश्वर मर्हत्परमेष्ठिन मभिषेचयामि || हं झं इवीं क्ष्वी हं सः द्राँ द्रीं ऐं अहँ क्लीं ब्लूँ द्राँ द्रीं द्रावय द्रावय स्वाहा ! अर्हन्तः पान्तु वः । सद्धर्म श्री बलायुरारोग्यैश्वर्याभि वृद्धिरस्तु वः । * सिद्धाः पान्तु वः । ह्रदय निर्वाणं प्रयच्छन्तु वः | आचार्याः पान्तु वः । शीतल सौगन्ध्य मस्तु वः । उपाध्यायाः पान्तु वः । सौमनस्यं चास्तु वः | सर्व साधवः पान्तु वः । अन्न दान तपो वीर्यं विज्ञान मस्तु वः । (6) For Private & Personal Use Only Jain Education Intemational www.jainelibrary.org

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