Book Title: Bhimsen Nrup Charitra
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Sagargaccha Jain Sangh Sanand

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ***++******+++++ पत्रम् पृष्ठम् ४ २ ५ Ea 39 २३ 11 " 19 39 पंक्ति: ह ५ w V 20 Is to ६ १० १३ १३ ४ भडि स्वस्वाभि कर्णपत्राः सर्व सामादाय धनैः सर्पिषो मवोचत पदाभिलापी स नुमते ? सेबास्ति www.kobatirth.org शुद्धिपत्रकम् ॥ Foodtoolatio स्वस्वामि कर्णपात्राः समादाय जायते मवोचत् पदाभिलाषी सेवास्ति पत्रम् पृष्टम् पंक्ति ३६ ===% ४० ४१ ४४ ५१ ५२ ५३ " १९ " " " १ 37 " ५८ १ २ For Private And Personal Use Only १० १४ १४ is m an a १२ अशुद्धि: वेग दुखं सानि प्रथम स समधिष्टिता प्रादुरभूत् पत्नित्वेन पूर्व श्रिीधर तथाव्य शुद्धिः वेगः दुःखं तादृग प्रथम सेहे समधिष्ठिता समासदत् पत्नीत्वेन पूर्व श्रीधर तथाप्य Acharya Shri Kassagarsun Gyanmandir ***********************@*****←→

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