Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

Previous | Next

Page 345
________________ २७० ] मनहर छन्द लोपो नांही रामरेष प्रीति सेतो पूज्यो भेष, इंदव कलिकाल में निहाल भये, प्रहलाद मिले प्रहलाद की नांई । छन्द उदार अपार दया सनमान, इसी विधि सों रिझिए जिन सांई । शील सन्तोष निर्दोष निरम्मल सन्तन सों न दई कहु बांई । राघौ कहै गुरू के गुरु. सों, मिलियों मुजरो कियो राम के तांई ॥१०७३ पृष्ठ २४१, ५० ५३१ के बाद Jain Educationa International भक्तमाल राघौ कहै रामजी निवाहेंगे व्रत साध को ॥ १०७२ ईड दादूदयालजी के शिष्यों के भजन स्थानों का निरूपण उदाहरण दादूजी दयाल पाट गरीब मसकीन ठाठ, जुगलबाई निराट निरा विराज हो । वखनों संकर पाक जसो चांदो प्राग टाक, ast उ गोपाल ताक गुरूद्वारे राज ही । सांगानेर रज्जब जु, देवल दयालदास, घड़सी कडेलवंशी धरम की पाज ही । दूजरणदास तेजानन्द जोधपुर, मोहन सु भजनीक आसोप निवाज हो ॥१०६८ गूलर में माधोदास विद्याद में हरिसिंह, चत्रदास संग्रावटि कियो तन काज ही । विहारणी प्रयागदास, डीडवार है प्रसिद्ध, सुन्दरदास वूसर सु फतेपुर गाजही । बनवारी हरदास, रतिये जंगल मधि, नित छाजही । साधुराम मांडोठी में, नौके सुन्दर प्रल्हाददास, घाटडै सु छोंड मधि, पूरब चतुरभुज, रामपुर वाराजही ॥ १०६६ नराणदास मांगल्यो सु, डांग मांही इकलोद, ररणत-भंवरगढ़, चरणदास जानिए । हाडोती गंगायचा में, माखूजी मगन भये, जगोजी भडोंच मधि, प्रचाधारी मानिये | लालदास नायक सु पीरान पटरणदास, फोफले मेवाड़ मांही दीलोजो प्रमानिए । For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364