Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 354
________________ जग्गाजी कृत भक्तमाल [ २७९ उतराधा सन्त वखाणों दयालदास दामोदर माधो। इनह कह्यौ सोध हरि लाधौ ॥५६ परमानन्द भगवान मनोहर जीता। इनहू कह्यौ राम भज रहो न रीता ।। गोपाल मनोहर वनमाली मीठा। इनहू कह्यौ राम तोहे दीठा ।।५७ हरिदास दमोदर परमानन्द दूदा। इनहू कयौ राम भज सूदा ।। हरिदास कलाल दयालदास कारणोतेवालौ। इनहू कह्यौ राम भज रलि पालो ।।५८ संतोषो राघो कान्हड़ हरिदासा। इनहू कह्यौ राम भजि खासा ॥ राघो भगवान गोरा तो मोहन धनावंसी। इनहू कह्यौ हरि के दर वसी ।।५६ जन जलाल खेमदास राघो माली। इनहू कह्यौ राम करै रखवालो। ऊधोदास जोधा संतोषदास पिनारो। हरीदास मूंडती-वालो ॥६० विरही राघो राम लखी नारो। इनहू कह्यौ गहि राम को डालो॥ तुलसी गोविंद दामोदर ईसर। इनहू कयौ राम जनि वीसर ।।६१ पूरण ईसर गोपाल रैदास वंशी। इनहू कह्यौ हरि के दर वसी ।। लाखो नरहरि कल्याण केसो। इनहू दियो राम उपदेशो ॥६२ टोडर खेमदास माधो नेमां। इनहू कह्यौ रहु हरि की सीमां ॥ राणी रमा जमना अरु गंगा। इनहू कह्यौ राम भज चंगा ॥६३ लाडां भागां संतोषां रांणी। इनहू कयौ भज एक विनांणी ।। रुकमणी रतनी सीता जसोदा। इनहू कयौ करि राम का सौदा ॥६४ स्वामी दादू के कीरतनिया वखांणों स्वामी दादू का कीरतनिया वखांणो । रामदास हरीदास धर्मदास बावो बूढौ वानों ॥ रामदास नाथो राघो खेम गोपाल । इनहू कयौ हरि वडे दयाल ।।६५ हरिदास लखमी विसनदास कल्याण । तुलछा नेता स्याम सुजाण ।। हुये होहिंगे अब ही साधां। तिनको खोजय हु मारग लाधा ॥६६ अगणित साध अगोचर वाणी। कृपा करौ मोहिं अपणो जांणी। गुरु प्रसादे या बुधि पाई। सकल साध मेरे वाप र माई ॥६७ गुरु गुरु-भाई सब में वूझ्या। तिनके ग्यांन परम-पद सूझ्या ।। जगि ये साध सिध सुण्यां ते जाच्या। दियो रामधन दुख सव वाच्या ॥६८ जनम-जनम का टोटा भाग्या। अखै भडार विलसने लाग्या । भक्तिमाल सुनै अरु गावे। योनि-संकट बहुरि न आवै ॥६६ ॥ इति जग्गाजी की भक्तिमाल सम्पूर्ण ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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