Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 356
________________ चैनजी कृत भक्तमाल [ २८१ विरहु वालमीक स सुमरै एक। चन्द्रहास चित्रकेतु अनेक । सरभऋषि कर्दम भृगु अंगिराई। लउचम अत्रि करहे ल्यौ लाई ॥१३ विश्वामित्र माधवाचार्य ध्यावै। पदमनाभ परमातम गावै । पुलह च्यवन जस कहै वखानी। लीन भये गौतम से ग्यानी ॥१४ सनक सनंदन सन्त कंवारू। सनातन पावै नहिं पारू। कवि हरि अन्तरिक्ष हरि गावै। प्रबुद्ध पुहपला पार न पावै ॥१५ अविर होत दुर्मिल हरिदासू । चम स रहै क्रमांजन पासू। सनकादिक नारद भये पारू । नौ जोगेश्वर सुमिरे सारू ।।१६ कदरज हस्तामल निज संतू। अष्टावक्र भज भगवन्तु । जै विजै मांडवी भृगु अंगराई। अजामेल गणिका गति पाई ॥१७ अनुसूया अंजनी सु धावै। सहस अठ्यासी मुनि हरि गावै। कोटि तेतीसू कहे सु देऊ। इन्द्रदेवनि दुर्वासा सेऊ ॥१८ गवरीं श्याम कार्तिक गनेसू। लियो कपिल कर निज उपदेसू। धू सुनीति लिछमन सुख दैऊ। सन्त शौनिक गुरु गंगेऊ ॥१६ गण गन्धर्प देहुति सुमाई। जप निज नाम सु शुन्य समाई। धर्मराय जयदेव वखांणी। जनक भये निज सन्त विनारणी ॥२० ऊधो अक्रूर प्रहलाद हणवंतु। विल्वमंगल वशिष्ट जपै अनन्तु । अलखनाथ पराशर दिलीप अम्बरीष। समकि सींगी गुरु की सीख ॥२१ जड-भरथ रघु गुणदत्त गुंसाई। मछिदर गोरख लगै सु नाई। बालनाथ औघड़ सावरानन्दू। कणेरी चौरंगी जपै गोविन्दू ॥२२ सुध-बुध भीन र भैरूँ रु जोगी। काकभंडी कोरट अमृत भोगी। टिटणी कपाली खंड नाम सारू। वीरू पाख वेलिया भई करारू ॥२३ नित्यनाथ निरंजन विदु सु नाथू। सिद्धपाद सदानंद कियो मन हाथू। भूली गौड़ भालुकी तारे। निनांणवै कोड नृप पार उतारे ॥२४ सतीनाथ भर्थरी करै अनंदा। श्री मछिंदर चर्पट वन्दा। सिध गरीबा वालगु नाई। देवल सुरति निरन्तर लाई ॥२५ नागार्जुन अरु घोड़ाचोली। अजपाल अन्तर हरि बोलो। चुरणकर गोपीचन्द मैंणवती माता। जलन्द्रीपाव धुंधली जपै हो विमाता ॥२६ पूजपाद अरु हालीपाऊ। कान्हीपाव सिधां सौ भाऊ। नागदेव जोगी जप जप जागै। मांडकी पाव सु भये सभागे ॥२७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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