Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
२८२ ]
भक्तमाल; परिशिष्ट ३ कंथडीपाव चिणगी स्याल सेटू । अलसनाथ जोगी पहुँचे थेटू । अंगद सोम वालमीक पासा। मोरधज वीजल करहों विलासा ॥२८ कहै हरकेस अनाहद वांगी। ऋषोकेस दईदास वखांणी। विसनदास तिलोचन नामा गाई। रांका वांका वेण सुणांई ।।२६ रामानंद कबीर अरपियो परसू। गलगला सुरसुरा पावै दरसू।। मतिसुन्दर रैदास पद्मावती सेवा। वेलि सूरिया भजै हरि देवा ॥३० अनंतानन्द अन्तर हरि गाई। सुरसुरानन्द सुरसुरि रहे ल्यौ लाई। रूप सनातन भावानन्दू। रामदास हिरदै गोविन्दू ॥३१ सोझा सांवलिया स्योश्रम भाणू। सधना धना भये प्रति जागू।। सीहा सोभू जन भगवानू । विशनपुरी भीव परवानूं ॥३२ रतन पारखू अरु केतगा मीरां। अनलहक उतरे भी तीरा। सुकलहँस पाई निज पर)। प्राजूज वाजूज हरिभज हरसू ॥६३ जन तिलोक महादेवा कुरु । लघु परमानन्द संत अध धू। तापिया लोदिया सदगति सरगू। नासकेत उदालक हांडी भरगू ॥३४ नानक नरसी परमानन्द सूरं। मुकन्दसेन वहवल पूरं। । सुखानन्द अरु माधो गुसांई। कीता नापा सुमरै सांई ॥३५ कृष्णानन्द श्रीरंग अधारू। विद्यादास वीसौ हुसियारू ।। ध्वाज वाजिद विराहम सिकंदर मनसूरं । फरीद हातम के मुख नूरं ॥३६ शेष वहावदी अरु सहवाजू। वाहिद भीकरण सारे काजू। बाबा बूढौ विजली खानूं। परम जोति में प्राण समानू ॥३७ काजी महमूद कादन जीवनि जीको। सारी छीतम गोविन्द भांणू। गालिब वीठल लघ निसाणू ॥३८ रहुवा चइया कान्हा अवू । सन्तदास घाटम नृसिंह सवू । कर्मानंद त्रिलोक प्रथीनाथ टोली। चंदनाथ व्यासर मारणक कोली ॥३६ चत्रनाथ चतुर्भुज हरि की आसा। द्यौगू किसनदास कील्हू हरदासा।
जोगानंद विमलानंद मुनी मन हाथू । नरसो वांदरौ घूडी सव साथू ॥४० स्वामी दादू संत सुतौ कलि मांहि कबीरू । जेते परसे प्राइ सुखी सो सदा सरीरू। ज्यौं पारस के संग लोह सू कंचन होई । भये सुनिरमल अंग कुल सु कारण नहिं कोई।।४१
कियो सकल माया को त्याग। गृह मांही लीयो वैराग। भज अहोनिस प्राण अधारू । सकल संग लै उतरे पारू ॥४२
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364