Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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जग्गाजी कृत भक्तमाल
[ २७७ दीप कील्ह अरु वेलियानन्द । भर्ती कह्यौ भजि राम गोविन्द ॥ घाटम द्यौगू सूरिया प्रासानन्दा। इनहू कह्यौ राम भजि गंदा ॥२७ सधना सांवल मुवा पर गालिम । इनहू कह्यौ राम भजि खालिम ॥ तापिया लोदिया सायर अरु नीर। इनहू कह्यौ करि हरि सू सोर ॥२८ वोहिथ पैवंत हरिचन्द ऋषीकेश। इनहू दियो राम उपदेश ।। डूंगर विसालष परमानन्द वीठल। इनहू कह्यौ राम भज मीठल ॥२६ कान्हैयो नाइक वैकुण्ठ-वन। सारी कह्यौ हो हरि को जन ॥ लाडण वालमीक भैरूं कमाल। इनहू कह्यौ हरि मारग हाल ॥३० हातम छीहल पदम धुंधली। इनहू कह्यौ भज राम भली ।। जैदेव कृष्ण राम लिछमण भाई। इनहू हरि-मारग दियो वताई ॥३१ सीता माता मैंणावती बाई। पारवती अरु धू की माई ।। सरिया कुंभारी अनुसूया अंजनो जांणी। इनहू कहो राम की वाणी ॥३२ इतना सन्त पुरातन जगियो हिरदै राखै । गुरु दादू का सेवग भावै ।। गुरु दादूका सेवग वखांण। गरीबदास मसकीना जांग ॥३३ नानी माता दोन्ह्यु बाई। इनहू कह्यौ राम भज भाई ।। वावो लोदी माता वसी। हवा साधु कह्यौ हरि-मारग धसी ॥३४ संतदास माधो मांगौ रामदास। इनहू कह्यौ हरि तेरे पास ।। चान्दा टीला दामोदरदास। इनहू कह्यौ रहु हरि के वास ।।३५ दयालदास वडो गोपाल संतदास। इनहू कयौ वन हरि के दास ॥ जगजीवन जगदीश स्यांम पहलादू। इनहू कह्यो भजो हरि साधू ॥३६ वखनो जैमल जनगोपाल चतुर्भुज वरणजारो। इनहू कह्यौ भजौ साहब सारो।। नारायण प्रागदास भगवान मारु सन्तदास । इनहू कहयौ करो हरि के वास ॥३७ मोहन दफतरी मोहन मेवाडो केशा राघो। इनहू कह्यौ भजौ हरि अाघो।। रज्जव दूजरण घडसी ठाकुर। इनहू कह्यौ होहु राम को चाकर ॥३८ सादो परमानंद रीकू लालदास नाइक। इनहू कह्यौ भजो हरि लाइक ।। जैमल पूरण गरीब साधु साध। इनहू कह्यौ भजि हरि-अगाध ॥३६ चतरो भगवान हरिसिंह भवना। इनहू कह्यौ होहु हरि-जना ।। दयाल माधो जोगी खाटरयो चत्रददास । इनहू कह्यौ भज हरि प्रवास ।।४०
प्रागदास धीरो जगनाथ चतरो मर्दनो वीरौ । इनहू कह्यौ भजो हरि हीरो ।। लघु गोपाल रामदास मोहन नरसिंह लावालौ । इनहू कह्यौ भजि राम राले पालौ।।४१
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