Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 351
________________ २७६ ] भक्तमाल; परिशिष्ट २ शांडिल्य कुरतजा जाज्ञवालिक्य श्रया। इनहू कयौ राम भज नया॥ शतजोति दशजोति सहस्रजोति गालवरिषि । इनहू कहयौ राम-रस चषि ।।१२ मांडव्य पिपलाद उद्दालक नासकेत। इनहू कयौ करि हरि सों हेत ॥ कर भजन नारद अर्जुन सरस्वती। इनहू कयौ राम भज जती ॥१३ सनक सनंदन सनतकुमार। इनह कह्यौ भज राम संवार ।। कायाहरि अंतरिष प्रबुद्धा। इनहू कह्यौ भज समरथ शुद्धा ॥१४ पहपाल्या मर्द दमला चमासे। इनहू कह्यौ राम हरि रमासे ।। जवाइल रसूल वलेल वहावदी मुल्ला। इनहू कही अल्ला की गल्लां ॥१५ फरीद हाफिज ईसा मूसा। इनहू कह्यौ अला तोहि तूसा ॥ थाज वाजिद ढिलन समन सहवाज । इनहू कह्यौ अल्ला की आवाज ॥१६ वलख का बादशाह शेख बूढा मनसूर । इनहू कह्यौ रख अला हजूर । अलहदाद अनलहक जांन। इनहू दिया नाम निसान ॥१७ काजी महमूद रूहा पठानां। इनहू दिया नांव निज जांना ॥ कायाध्री संजावती सविया मन्दालसाह । इनहू कह्यौ भज समरथ साह ॥१८ एता सिद्ध ऋषीसुर तुरकी संत जगियो गावै। और भगतनि पै माँगै पावै ।। धू प्रहलाद शेष सुखदेवा। सत्यराम की कहि मोहि सेवा ॥१६ नामदेव तिलोचन कबीर घूरी स्वामी। इनह कह्यौ भज अन्तरयामी ।। रामानन्द सुखा श्रीरंगा। नानक कह्यौ रहहु हरि-संगा ।।२० पीपा सोंझा धना रैदासा। राम राम की वधाई आसा ॥ सुकाल सेठ जनक रांका वांका। इनहू दिया हरिनाम का नाका ॥२१ पदमनाभ आधारू नरसी। सो म कह्यौ तोकौं हरि दरसी ।। उनपति सुनपति हंस परमहंस। इनहू कह्यौ राम भज अंस ।।२२ वीसल वेणी नापा हरिदास। इनहू कह्यौ हरि तेरे पास ॥ अंगद भुवन परस अरुसेन। ए भी उठ्या रामधन देन ॥२३ सूर परमानन्द माधौ जगनाथी। इनहू कही मोहि राम की थाति ॥ छीतर वहवल सीहा भाई। इनहू मोकौ इहै दिढाई ॥२४ कोता सन्ता चत्रभुज कान्हां। प्रगट राम कह्यौ नहिं छाना ॥ दत्त दिगम्बर औघड़ नरसिंह भारती । इनहू वात कही इक छूती ॥२५ ग्यांन तिलोक मति सुन्दर भींव। मुकुंद कह्यौ रहु हरि की सींव ।। विजिया वेलिया हालण अरु हाथो। इनहू कह्यौ राम है साथी ॥२६ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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