Book Title: Bhaktmal
Author(s): Raghavdas, Chaturdas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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परिशिष्ट १
[ २७१ सादा पर्मानन्द ईदोर वली में रहे जपि,
जैमल चौहान भले बोलि हरि गानिये ॥११०० जमल जोगी कछाहा वनमाली चोकन्यौ सु,
सांभर भजन करि यों वितान तान तानियों। मोहन दफ्तरी सु मारोठ चिताई भलैं,
रघुनाथ मेड़ते सु, भाव करि प्रानियों। कालेडेहरे चत्रदास, टीकमदास नांगले में,
झोटवा. झांझू वांझू, लघु गोपाल धानियों। आम्बावति जमनाथ, राहौरी जनगोपाल, : बारै हजारी संतदास चाँवण्डे लुभानियों ॥११०१ आंधी में गरीरबदास, भानुगढ़ माधव के,
___ मोहन मेवाड़ा जोग, साधन सों रहे हैं। टेटड़े में नागर-निजाम हू भजन कियो,
दास जगजीवन सुदयो, साहरि लहे हैं। मोह दरियाई सु, समिंधी मधि नागर-चाल,
बोकड़ास संत जु, हिंगोल गिरि भए हैं। चैनराम काणोंता में, गुंदेर कपिल मुनि,
__ श्यामदास झालाणा में, चोड़के में ठये हैं ।।११०२ सौंक्या लाखा नरहर, अलूदै भजन कर,
__ म्हाजन खण्डेलवाल, दादू गुरू गहे हैं। पूरणदास ताराचन्द, म्हाजन मेहरवाल,
प्रांधी में भगति करि, काम क्रोध दहे हैं। रामदास राणी बाई, झांजल्यां प्रगट भये,
म्हाजन डिंगायच सु, जाति बोल सहे हैं। बावनहि थांभा अरु, बावन महन्त ग्राम,
दादूपन्थी चतरदास, सुनी जैसें कहे हैं ।।११०३
इति दादू सम्प्रदाय मध्ये भक्तवर्णन समास ॥ पृ० २०६५० ४४४ के बाद
अथ पुनि समुदाय-भक्त वर्णन अरेल यम हरि सों रत हरिदास, पठाण भाण भयो भक्ति को।
धनि माधो मुगल महन्त, गह्यो मत मुक्ति को। .
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