________________
समर्पण
जिनके अमर वात्सल्य का सरस व सुमधुर चिन्तन-पाथेय प्राप्त कर, मैं अपनी जीवनयात्रा में साहित्य साधना कर रहा हूँ, उन्हीं, परम श्रद्धय पूज्य गुरुदेव राजस्थान केसरी, प्रसिद्धवक्ता, पण्डित प्रवर श्री पुष्कर मुनि जी महाराज के कर कमलों में सभक्ति, सविनय ।
-देवेन्द्र मुनि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org