Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 551
________________ २१.६ भगवती सूत्र- श. १२ उ. १० आत्मा के आठ भेद और उनका संबंध - याया जोगाया भाणियब्वा । ४ प्रश्न-जस्स णं भंते ! दवियाया, तस्स उवओगाया-एवं सव्वत्थ पुन्छा भाणियव्वा । ___४ उत्तर-गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवओगाया णियमं अत्थि, जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया णियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स णाणाया भयणाए जस्स पुण णाणाया तस्स दवियाया णियमं अत्थि, जस्स दवियाया तस्स दंसणाया णियमं अस्थि, जस्स वि दंसणाया तस्स दवियाया णियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया णियमं अत्थि, एवं वीरियायाए वि समं । कठिन शब्दार्थ-सव्वत्थ-सर्वत्र-सभी जगह । भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! आत्मा कितने प्रकार की कही है ? १ उत्तर-हे गौतम ! आत्मा आठ प्रकार की कही है । यथा-द्रव्य आत्मा, कषाय आत्मा, योग आत्ला, उपयोग आत्मा, ज्ञान आत्मा, दर्शन आत्मा, चारित्र आत्मा और वीर्य आत्मा। २ प्रश्न-हे भगवन् ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके कषायात्मा होती है और जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? . २ उत्तर-हे गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके कषायात्मा कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं भी होती, परन्तु जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। ३ प्रश्न-हे भगवन् ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके योगात्मा होती है और जिसके योगात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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