Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 549
________________ २१०४ भगवती सूत्र-ग. १२ उ. १ भव्यद्रव्यादि पाच प्रकार के. देव निक, सौधर्म, ईशान यावत् अच्युत, वेयक और अनुतरौपपातिक-इनमें कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? ३७ उत्तर-हे गौतम ! सबसे थोड़े अनुत्तरोपपातिक भावदेव हैं, उनसे ऊपर के ग्रेवेयक के भावदेव संख्यात गुण हैं, उनसे मध्यम के भावदेव संख्यात गुण हैं, उनसे नीचे के ग्रैवेयक के भावदेव संख्यात गुण हैं, उनसे अच्युतकल्प के देव संख्यात गुण हैं, यावत् आनतकल्प के देव संख्यात गुण हैं । जिस प्रकार जीवाभिगम सूत्र की दूसरी प्रतिपत्ति के त्रिविध जीवाधिकार में देव पुरुषों का अल्पबहुत्व कहा है, उसी प्रकार यहाँ भी यावत् 'ज्योतिषी भावदेव असंख्यात गुण हैं'-तक कहना चाहिए। .... हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-ऐसा कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं। - विवेचन-नरदेव सबसे थोड़े हैं । इसका कारण यह है कि प्रत्येक अवपिणी और उत्सपिणी काल में प्रत्येक भरत और ऐरवत क्षेत्र में, बारह-बारह ही उत्पन्न होते हैं और महाविदेह क्षेत्रों के विजयों में वासुदेवों के होने से सभी विजयों में वे एक साथ उत्पन्न नहीं होते। . नरदेवों से देवाधिदेव संख्यात गुण हैं। इसका कारण यह है कि भरतादि क्षेत्रों में वे चक्रवतियों से दुगुने-दुगुने होते हैं और महाविदेह क्षेत्र के विजयों में वासुदेवों की मौजूदगी में भी वे उत्पन्न होते हैं। देवाधिदेवों से धर्मदेव संख्यात गुण हैं। इसका कारण यह है कि धर्मदेव एक ही समय में जघन्य दो हजार करोड़ और उत्कृष्ट नौ हजार करोड़ पाये जा सकते हैं। ... धर्मदेवों से भव्यद्रव्यदेव असंख्यात गुण हैं । इसका कारण यह है कि देवगति में जाने वाले देशविरत, अविरत सम्यग्दृष्टि आदि (तिर्यंच पंचेन्द्रिय) असंख्यात होते हैं। ... भव्यद्रव्यदेवों से भावदेव असंख्यात गुण हैं। इसका कारण यह है कि भावदेव स्वभावतः ही असंख्यात हैं। 'भावदेवों के अल्प-बहुत्व में जीवाभिगम सूत्र के त्रिविध जीवाधिकार का जो अतिदेश किया है, वहां इस प्रकार अल्प-बहुत्व कहा है-आरणकल्प से सहस्रार कल्प में भावदेव असंख्यात गुण हैं, उससे महाशुक्र में असंख्यात गुण, उससे लान्तक में असंख्यात गुण, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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