Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 557
________________ २११२ भगवती सूत्र-श. १२ उ. १० आत्मा के आठ भेद और उनका संबंध सिद्ध जीवों में द्रव्यात्मा तो है, किन्तु वीर्यात्मा नहीं । संसारी जीवों के द्रव्यात्मा और वीर्यात्मा दोनों ही हैं। जहां वीर्यात्मा है, वहां द्रव्यात्मा अवश्य होती है, वीर्यात्मा वाले सभी संसारी जीवों में द्रव्यात्मा होती ही है। सारांश यह है कि द्रव्यात्मा में कषायात्मा, योगात्मा, ज्ञानात्मा, चारित्रात्मा और वीर्यात्मा की भजना है, परन्तु उक्त आत्माओं में द्रव्यात्मा का रहना निश्चित है । द्रव्यात्मा उपयोगात्मा और दर्शनात्मा का परस्पर नित्य सम्बन्ध है । इस प्रकार द्रव्यात्मा के साथ शेष सात आत्माओं का सम्बन्ध है। कषायात्मा के साथ आगे की छह आत्माओं का सम्बन्ध इस प्रकार है जिस जीव के कषायात्मा होती है, उमके योगात्मा अवश्य होती है, क्योंकि सकषायी आत्मा अयोगी नहीं होती। जिसके योगात्मा होती है, उसके कषायात्मा की भजना है, क्योंकि सयोगी आत्मा सकषायी और अकषायी दोनों प्रकार की होती है । जिस जीव के कषायात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है, क्योंकि उपयोग रहित तो जड़ पदार्थ है और उस के कषायों का अभाव है। उपयोगात्मा के कषायात्मा की भजना है, क्योंकि ग्यारहवें से लेकर चौदहवें गुणस्थान तक के जीवों में तथा सिद्ध जीवों में उपयोगात्मा तो है, परन्तु कषाय का अभाव है। . - जिस जीव के कपायात्मा होती है, उमक ज्ञानात्मा की भजना है, मिथ्यादष्टि के कषायामा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती। सकपायी सम्यग्दृष्टि के ज्ञानात्मा होती है। जिस जीव के ज्ञानात्मा होती है, उसके कषायात्मा की भजना है । ज्ञानी कषाय सहित भी होते हैं और कषाय रहित भी। जिस जीव के कषायात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है। दर्शन रहित घटादि जड़ पदार्थों में कषायों का सर्वथा अभाव है। जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके कषायात्मा की भजना है, क्योंकि दर्शनात्मा वाले जीव सकषायी और अकषायी दोनों प्रकार के होते हैं । जिस जीव के कषायात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा की भजना है और चारित्रात्मा वाले के भी कषायात्मा की भजना है. कषाय वाले जीव संयत और असंयत दोनों प्रकार के होते है । सामायिकादि चारित्र वालों के कषाय रहती है और यथाख्यात चारित्र वाले कपाय रहित होते हैं । जिस जीव के कषायात्मा है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है । वीर्यरहित जीवों में कषायों का अभाव पाया जाता है । वीर्यात्मा वाले जीवों के कषायात्मा की भजना है। क्योंकि वीर्यात्मा वाले जीव सकषायी और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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