Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 572
________________ भगवती सूत्र-शः १२ . १० परमाणु आदि की पता २१२७ आइडे णो आया ३ तदुभयस्स आइडे अवत्तव्यं आयाइ य णो आयाइ य ४ देसे आइने सम्भावपजवे देसे आइडे अमभावपजवे चभंगी, सम्भावपज्जवेणं तदुभएण य चउभंगो, असन्भावेणं तदुभएण य भंगो, देमे आइ सम्भावपज्जवे देस आइडे असम्भाववज्जवे देसे आइडे तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आया ये णो आया य अबत्तव्यं आयाइ यणो आयाइ य १६ देसे आइडे सम्भावपज्जवे देसे आइडे असम्भावपज्जवे देमा आइट्टा तदुभयपजवा चउप्पएसिए वंधे आया य णो आया य अवत्तब्वाई आयाओ य णोआयाओ य १७ देसे आइडे सम्भावपज्जवे देसा आइड्डा असम्भावपज्जवा देसे आइडे तदुभयपज्जवे चउप्परसिए खंधे आया यणो आयाओ य अवत्तव्यं आयाइ य णो आयाइ य १८ देसा आइड्डा सम्भावपज्जवा देसे आइडे असम्भावपज्जवे देसे आइट्टे तदुभयपज्जवे उप्परसिए खंधे आयाओ य णो आया य अवत्तव्यं आयाइ य णो आयाइ य १९ से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - चउप्पर सिए धे सिय आया सिय णो आया सिय अवत्तव्वं णिक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव णो आयाइ य । भावार्थ - २१ प्रश्न - हे भगवन् ! चतुःप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है या अन्य है, इत्यादि प्रश्न । २१ उत्तर - हे गौतम ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध १ कथंचित् आत्मा है २ कथंचित् नोआत्मा है ३ आत्मा नोआत्मा उभय रूप से कथंचित् अवक्तव्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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