Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 553
________________ २१०८ भगवती सूत्र - १२ उ. १० आत्मा के आठ भेद और उनका संबंध तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियव्वाओ, एवं जहा कमायाया वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं समं भाणि - यव्वाओ । जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवयोगायाए वि उवरिल्लाहिं समं भाणियव्वा । जस्स णाणाया तस्स दंसणाया नियमं अस्थि, जस्स पुण दंसणाया तस्स णाणाया भयणाए, जस्स णाणाया तस्स चरिताया सिय अस्थि सिय णत्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स णाणाया नियमं अस्थि, णाणाया वीरियाया दो वि परोप्परं भयणाए । जस्स दंसणाया तस्स उवरिमाओ दो विभयगाए, जस्स पुण ताओ तस्स दंसणाया नियमं अस्थि । जस्स चरिताया तस्स वीरियाया नियमं अत्थि, जस्स पुण वीरियाया । तस्स चरिताया सिय अस्थि सिय त्थि । ६ प्रश्न - एयासि णं भंते! दवियायाणं, कमायायाणं जाव वीरियायाण य करे करेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ? ६ उत्तर - गोयमा ! सव्वत्थोवाओ चरितायाओ, णाणायाओ अनंतगुणाओ, कमायाओ अनंतगुणाओ, जोगायाओ विसेसाहियाओ, वीरियायाओ विसेसाहियाओ, उवयोग-दविय दंसणायाओ तिणि वितुल्लाओ विसेसाहियाओ । Jain Education International कठिन शब्दार्थ -- परोप्परं -- परम्पर । : भावार्थ -- ५ प्रश्न - हे भगवन् ! जिसके कषायात्मा होती है, उसके c. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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