Book Title: Babu Chottelal Jain Smruti Granth
Author(s): A N Upadhye, Others
Publisher: Babu Chottelal Jain Abhinandan Samiti

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Page 209
________________ बाबू छोटेलाल जैन स्मृति ग्रन्थ बनक की पुत्री नहीं थी। उसे तो चाहे वह किसी पाया है कि-वेताढ़ य पर्वत की दक्षिण श्रेरिण में ही रूप में प्राप्त हुई हो, संयोग से मिल गई थी। परिजयपुर नाम के नगर में मेघनाद नामक राजा बात चाहे और भी विचित्र लगे पर बौद्ध जातकों में था। उसकी रानी श्री कान्ता के गर्भ से पद्मश्री तो सीता को दशरथ की पुत्री और राम की बहन नाम की एक रूपवती कन्या जनमी । यौवन अवस्था तक बताया गया है। प्राप्त होने पर उसके रूप को चर्चा विद्यावरों में स्व. श्री नाथूरामजी 'प्रेमी' ने अपने जन सर्वत्र फैल गई। मेघनाद ने पदम श्री के विवाह के साहित्य और इतिहास में राम कथा की विविध सम्बन्ध में नैमित्तिक से पूछा तो उसने कहा कि यह घारामों का उल्लेख करते हये प्रभृत रामायण, कन्या तो किसी चक्रवर्ती की मानीता रानी होगी। बौद्ध जातक और जैन उत्तर पुराणों की कथा अन्त में कन्या का विवाह उस 'सुभम' नामक संक्षेप में दी है। उत्तरपुराण के अनुसार भी सीता चक्रवर्ती के साथ होता है, जिसने परशराम से मन्दोदरी की कुक्षि से उत्पन्न हुई थी। प्रेमीजी ने अपने पिता की मृत्यु का बैर लेते हुये २१ बार इस लिखा है कि "जहाँ तक मैं जानता हूँ यह उत्तर- भूमि को ब्राह्मणों से रहित कर दी थी। जिस पुराण की रामकथा श्वेताम्बर सम्प्रदाय में प्रचलित प्रकार परशुराम ने क्षत्रिय वंशका संहार करना अपना नहीं है।" पर बात वास्तव में ऐसी नहीं है। उद्देश्य बना लिया था उसी तरह सुभूम चक्रवर्ती दिगम्बर साहित्य की तरह श्वेताम्बर साहित्य में ने भी। उसे जितने भी ब्राह्मण मिले, सब को मार भी राम कथा के दो रूपान्तर संग्रहीत मिलते हैं डाला ये ही ब्राह्मण बच पाये जिन्होंने अपना ब्राह्मण जिनमें से पउम चरिउ और त्रिष्टीशलाका पुरुष चरित (होना) नहीं बतलाया । सुभूम के ससुर राजा में वरिणत राम कथा ने तो काफी प्रसिद्धि प्राप्त मेघनाद के बंश में बलि नाम का राजा हमा और करली पर "वसुदेव हिन्डी" की राम कथा की पोर उसी के वंश में प्रागे चलकर 'रावण' हुमा । इसी विद्वानों का ध्यान ही नहीं गया। क्योंकि एक तो प्रसंग में "वसुदेव हिन्डी" में रामायण की कथा 'वसुदेव हिन्डी' श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव के भ्रमण दी है। वृत्तान्त संबंधी ग्रंथ है । दूसरा रामायण की कथा वसुदेव हिन्डी की राम कथा बहुत ही संक्षिप्त उसमें प्रसंगवश बहुत ही संक्षेप में प्राई है । और हैं अत: बहुत से प्रसंगों का तो उसमें उल्लेख ही उस कथा का प्रचार कम रहने से परवर्ती प्रथकारों नहीं हुआ है और जो मुख्य मुख्य बातें इस कथा में 'पउम चरिउ' की कथा को ही अधिक प्रप- में पाई हैं उनमें से कुछ अन्य ग्रन्थों में दूसरे प्रकार नाया । वैसे प्राकृत भाषा में एक प्रसिद्ध विस्तृत से भी मिलती हैं। जैन मान्यता के अनुसार लक्ष्मण सीता चरित्र प्राप्त हुआ है। उसके सम्बन्ध में भाठ बासुदेव के हुये और उन्हीं के हाथ से रावण हमारा एक लेख छप भी चुका है पर विस्तृत मारा गया । मूल कथा नीचे दी जा रही है। मालोचना तो ग्रंथ के प्रकाशित होने बाद ही रावण का वंश की जा सकती है। बलि राजा के वंश में सहस्रग्रीव राजा हुमा ____ 'वसुदेव हिन्डी' के प्रथम खण्ड के १४ वें मदन था उसके पचशतग्रीव नामक पुत्र हुमा उसके बाद वेश्या लम्भक में राम कथा का प्रसंग इस रूप में शतग्रीव, बाद में विंशतिग्रीव और तत्पश्चात् दश* जन मान्यता के अनुसार ६३ राजा-महापुरुषों में २४ तीर्थकर १२ चक्रवर्ती वासुदेव , बलदेव पौर ६ प्रति वासुदेव होते हैं । प्रति वासुदेव का वध वासुदेव करके ३ खंड साम्राज्य के भोक्ता बनते हैं वासुदेव के बड़े भाई बलदेव कहलाते हैं राम बलदेव थे, लक्ष्मण बसुदेव और रावण प्रति वासुदेव थे।

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