Book Title: Babu Chottelal Jain Smruti Granth
Author(s): A N Upadhye, Others
Publisher: Babu Chottelal Jain Abhinandan Samiti

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Page 215
________________ १६० बाबू बोटेलाल जैन स्मृति प्रन्थ राम का नाम प्राचीन जैनागमों ने 'पउम' वाला बसुदेव हिन्दी के पहले का कोई अन्य अन्य यानी 'पद्म' मिलता है। उनके संबंध में समवा- प्राप्त नहीं है। यांगसूत्रादि में संक्षिप्त उल्लेख है । विमल सूरि के सीता रावण और मंदोदरी की पुत्री थी, पउमरियं में ही सर्व प्रथम जैन-मान्य राम इससे सम्बन्धित जितने भी ग्रंथ प्रब तक प्राप्त कथा पूरे रूप में दी गई है । वसुदेव हिन्डी से ज्ञात हुए हैं वसुदेव दिन्डी उन सबसे प्राचीन है। मालम होता है कि विमल सूरि के 'पउम चरिय इससे सीता संबंधी उपरोक्त प्रवाद की प्रा में की परम्पराको संघदास गणि ने नहीं अपनाई। ५ वीं शताब्दी के पहिले की सिद्ध होती है। इसी उनके सामने राम संबंधी लोक-कथा की कोई अन्य बात को प्रकाश में लाने के लिए यह लेख पाठकों ही परम्परा रही होगी। पर माज उस परम्परा के सामने उपस्थित किया गया है। श्रद्धा के बिना प्रेम नहीं रहता। धन उपार्जन और उन्नति दोनों एक नहीं हैं।

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