Book Title: Astittva aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 217
________________ ● से किट्टेति तसि समुट्ठियाणं णिक्खित्तदंडाणं समाहियाणं पण्णाणमंताणं इह मुत्तिमग्गं । (आयारो ६ / ३ ) ० एवं खु मुणी आयाणं सया सुअक्खाय धम्मे विभूतकप्पे णिज्भोसइत्ता | (आयारो ( ६ / ५६ ) • पणया वीरा महावीहि । • आयाण भो ! सुस्सूस भो ! • विस्सेनि कट्टु परिष्णाए । O प्रवचन ३६ ० महत्त्वपूर्ण शब्द बौद्धतंत्र -- ललना, रसना और अवधूति शैवतंत्र - - इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना • सवार्थ सिद्ध के देवता और एक वर्ष का दीक्षित मुनि • महापथ : महावीथि ● अवधूत से बना है औघड़ शब्द अवधूत की परिभाषा ● अवधूत दर्शन का हृदय ● अवधूत बनने की प्रक्रिया संकलिका ० (आयारो १ / ३७ ) धूयवादं पवेदइस्सामि । Jain Education International प्रेक्षाध्यान के प्रयोग : अवधूत दर्शन • धुतवाद के प्रयोग : कुंडलिनी शक्ति का जागरण ● अवधूत दर्शन का निष्कर्ष (आयारो ६ / २४ ) (आयारो ६ / ६८ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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