Book Title: Astittva aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 223
________________ प्रवचन ३७ | संकलिका , गामे वा अदुवा रण ? व गामे व रणे धम्ममायाणह-पवेदितं माहणेण मईमया । • जामा तिणि उदाहिया, जेसु इमे आरिया संबुज्झमाणा समुट्ठिया । (आयारो ८/१४, १५) ० अनेकान्त की उपयोगिता ० महत्त्वपूर्ण प्रश्नसाधना कहां करें ? गांव में या जंगल में ? ० दो अभिमत साधना गुफा या एकांत स्थान में ही संभव है। एकान्त साधना साधना नहीं, पलायन है । ० जहां आत्मदर्शन है, वहां साधना है । जहां आत्मदर्शन नहीं है, वहां साधना नहीं है । ० आत्मदर्शी व्यक्ति का चिन्तन • साधना का रहस्य : अकेलेपन की अनुभूति • • साधना की पवित्र भूमिका ० देश और काल का प्रश्न • मुख्य प्रश्न : गौण प्रश्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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