Book Title: Astittva aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 228
________________ ० • अदुवा गुती वओगोयरस्स (आयारो ८ / २७ ) सव्वेसि पाणाणं सव्वेसि भूयाणं सव्र्व्वासि जीवाणं सव्र्व्वेस सत्ताणं अणुवीई भिक्खू धम्मम इक्खेज्जा । agats भिक्खू धम्ममाइक्खमाणे - णो अत्ताणं आसाएज्जा णो परं आसाज्जा णो अण्णाई पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई आसाएज्जा । (आयारो ६ / १०३-१०४ ) ० • अवि य हणे अणादियमाणे । एत्थंपि जाण सेयंति णत्थि । O ० प्रवचन ३८ केयं पुरिसे ? कंच गए ? संकलिका ० 0 तहेव फरुसा भासा, गुरुभूओवघाइणी । ० सच्चा वि सा न वक्तव्वा, जओ पावस्स आगमो ॥ Jain Education International (आयारो २ / १७५-१७७ ) ० प्रश्न है विवेक का o मुनि का लक्ष्य ० भाषा विवेक : अहिंसा और सत्य का संदर्भ अनाग्रहवृत्ति का विकास • कलह-मुक्त वातावरण: खेचरी मुद्रा ० शान्त सहवास का रहस्य सूत्र • कब करें मौन का प्रयोग ? • मौन : समय - सापेक्ष या प्रसंग-सापेक्ष ? ( दसवेलियं ७ /११ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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