Book Title: Astittva aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 222
________________ २०४ अस्तित्व और अहिंसा के लिए जरूरत है-चेतना के ऊर्ध्वारोहण की, अवधूत की प्रक्रिया को जीने की। आचारांग में अवधूत दर्शन का विस्तृत विवेचन उपलब्ध है। यदि हम उसका सम्यक् मनन करें, अनुशीलन करें तो एक नया अनुभव होगा, एक नई दुनियां का साक्षात्कार होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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