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अस्तित्व और अहिंसा
के लिए जरूरत है-चेतना के ऊर्ध्वारोहण की, अवधूत की प्रक्रिया को जीने की। आचारांग में अवधूत दर्शन का विस्तृत विवेचन उपलब्ध है। यदि हम उसका सम्यक् मनन करें, अनुशीलन करें तो एक नया अनुभव होगा, एक नई दुनियां का साक्षात्कार होगा।
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