Book Title: Astittva aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 216
________________ १६८ अस्तित्व और अहिसा हो सकती। अनुप्रेक्षा का प्रयोग नहीं करने वाला मुनि जीवन में विचलित हो जाता है। महावीर का यह वचन महत्त्वपूर्ण है---जो मुनि श्रद्धा, धृति और पराक्रम को बनाए रखने का प्रयोग नहीं करता, उसका घर छोड़ना न छोड़ने जैसा बन जाता है। जीवन की सफलता के लिये निरन्तर चलते रहना, प्रयोग की आंच में अपने आपको पकाते रहना बहुत ही श्रेयस्कर है और यही सफलता का अमोघ सूत्र सिद्ध हो सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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