Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

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Page 5
________________ जैसा हूं उसे उसी ढंग से प्रस्तुत करने की चेष्टा मैंने की है। इस कृति में मैंने उन महानुभावों का वर्णन किया है जिनसे मुझे अपने आस्था के सफर को जारी रखने में सहायता मिली है। आशा है कि विद्वत वर्ग इस कृति को साहित्य जगत में स्थान देकर अपना आर्शीवाद देगा और इस कृति की कमीयों की ओर ध्यान नहीं देगा। मैं पुनः इस ग्रंथ के सम्पादक श्री रविन्द्र जैन का आभार प्रकट करता हुआ पाठकों अपना यह ग्रंथ भेंट करता मण्डी गोबिन्दगढ़ ३१-०३-२००३ शुभ चिंतक ९२०

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