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आत्मार्थी जीव अति बहुमान पूर्वक सद्गुरुगमसे इस परमागमका अभ्यास करके उसके गहन भावोंका आत्मसात् करें और शास्त्रके तात्पर्यभूत वीतरागभावको प्राप्त करें- यही प्रशस्त कामना।
भाद्रपद कृष्णा २, वि. सं. २०५२ ८२ वीं बहिनश्री-चम्पाबेन-जन्मजयन्ती
साहित्यप्रकाशनसमिति श्री दिगम्बर जैन स्वाध्यायमन्दिर ट्रस्ट,
सोनगढ़-३६४२५० (सोराष्ट्र)
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