Book Title: Ashtapad Maha Tirth 01 Page 177 to 248 Author(s): Rajnikant Shah, Kumarpal Desai Publisher: USA Jain Center America NY View full book textPage 5
________________ Shri Ashtapad Maha Tirth के लिये देवों से बड़ी नम्रता के साथ याचना की, जिससे इस अवसर्पिणी काल में याचक शब्द प्रचलित हुआ। चिता कुण्डों में अग्नि चयन करने के कारण तीन कुण्डों में अग्नि स्थापन करने का प्रचार चला, और वैसा करने वाले आहिताग्नि कहलाये। उपर्युक्त सूत्रोक्त वर्णन के अतिरिक्त भी अष्टापद तीर्थ से सम्बन्ध रखने वाले अनेक वृत्तान्त सूत्रों, चरित्रों, तथा (पौराणिक) प्रकीर्णक जैनग्रन्थों में मिलते हैं। परन्तु इन सब के वर्णनों द्वारा विषय को बढ़ाना नहीं चाहते। -26 141 - Prachin Jain TirthPage Navigation
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