Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 4
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 803
________________ सुकिहि. ] attained salvation after fasting for a month. अंत० ८ २; सुकिट्टि पुं० ( सुकृष्टि ) मे नामनुं त्रील थोथा हेक्सोनु मे विभान इस नामका तीसरे चौथे देवलोक का एक विमान. A celestial abode so named of the 3rd and 4th Devaloka. सम० ४; ( ७७६ ) सुकिल्ल-ल. त्रि० ( शुक्ल ) सह; घो. सफेद. White. सू० १० २०; पन० १; ६, ४५; कप्प● सुकुमार त्रि० ( सुकुमार ) धाशुं अमण; नालुङ बहुत कोमल; नाजुक. Very delicate, tender. जं० १० ५ १२१; ओोध० नि० भा० १३१; सुकुमारता. स्त्री० ( सुकुमारता ) अभजयगुं कोमलपना; नाजुकी. Tenderness. नाया ० १: सुकुमाल. त्रि० ( सुकुमार ) लुओ “सुकुमार" शब्द देखो “सुकुमार" शब्द. Vide "सुकुमार." जं० प० ५, १२२; नाया ० १; २; ५ ८; १२; १६; भग० १, १, ६, ३३; ११, ११; उत्त० १६, ३४; ग्रोव १० दसा ० १०, १; निर० १, १, नंदी० स्थ० ४२; कप्प० १, ६: ३, ३६; ४०; - पाणिपाद. त्रि० ( - पाणिपाद ) अभज-मृदु लेना हाथ पत्र छेते. जिस के हाथ पैर कोमल हैं. (One) whose hands and feet are soft, नाया० ६० सुकुमालग. त्रि० ( सुकुमारक ) अति अमण. प्रति कोमल. Very soft. भग० १५, १; सुकुमा लिया. स्त्री० ( सुकुमालिका ) सुभाि નામે કન્યા; દ્વીપદીના પૂર્વભવનું નામ. सुकुमालिका नाम को एक कन्या; द्रौपदी के पूर्व भव का एक नाम A daughter nam Jain Education International [ सुकोसल. ed Sukumalikā; name of the previous birth of Draupadi. नाया ० १६; ७, £; सुकुल न० ( सुकुल ) सारूं ण; उत्तम पुण. उत्तम कुल. A good family. भग० ७, ६; - पश्चाजाप. त्रि० ( - प्रत्यापात ) सारा दुणमां नन्भ व्यास. अच्छे कुलमें जन्म पाया हुआ. (One) born in a good family. भग० - पश्चायाइ. स्त्री० ( - प्रत्यायाति ) उत्तम दुइ न्म सेवा ते. उत्तम कुलमें फिर जन्म लेना. Being reborn in a good family. ठा० ४, १; पश्चायाय. पुं० ( - प्रत्याजात ) उत्तम पुणमा २५वतरेल. जिसने उत्तम कुलमें अवतार लिया है. Descended from a good family. सम० १० १८०; सुकुलिय न० ( सुकुलित ) तृणु विशेष. एक प्रकार का घास. A particular grass भग० २१, ६; सुकुसल त्रि० ( सुकुशल ) सारीरीते पुरान अच्छी तरह कुशल. Very proficient. गच्छा० १३; सुकोसल. पुं० ( सुकोशल ) स्मूदीपना ભૈરવત ક્ષેત્રમાં આવતી ઉત્સર્પિણીમાં तीर्थ४२. जम्बू द्वीप के થનાર ૧૯ મા ऐरवत क्षेत्रमें ग्रागामी उत्सर्पिणीमें होनेवाले १६ वें तीर्थकर The 19th Tir thankara to be born in the coming aeon of increase in Airavata region of Jambudvipa. सम० प० २४३; प्रव ३०३; (૨) વાઘને પરીષહુ ખમનાર એ નામના राषि वाघिन का उन्सर्ग सहनेवाले एक राजर्षि. A royal saint so named संत्या ० ६३, भत्त० १६१; For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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