Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 4
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 1016
________________ Jain Education International ६१० १ १ लेते है Ints ८, १७७; पुरखे . . . ه ه ع पूक्की *3 पूर पुप्फसिग ६१२ ११७: पुरमोकाई ६१२ ११3 ६१२ २ १५ ६१३ २ २१ ६१३ २ २६३६, २५; ६१३ पूर्वद्ध ६१४ १४ परिमई 614 1 24 şduluka ६१५ २ २१ પુરૂષદમાં पुरुषवेदग २६, २५; For Private & Personal Use Only लेते हैं 1619 1 2 Plantiful Plentiful सब जगह कि जहां लेताह २ ८ ; (भावे, वहा लेते हैं सम | 620 माना चाहिए. 2 17 Facimg Facing ६२२ १ ३१ पुप्फसिंग माखोंसे ग्राखोंसे ६२२ २ । पुररवे । पुरमोकाउ ६२२ २ १६ कारणों से करणों से १०; ६ २२ २ ३२ विषयभौग विषयभोग २ ११ श्रत ६ २३ २ १५ १५ होने के पूर्वके -उत्पादादि होनेसे पूर्व-उत्पादादि १४ जौ १४ पूर्व कि जो पूर्वाद्ध पुन्वगह पुरिमड १७ पूर्वक पूर्वक Şaquluka २ ३४ १२; १३; पुरिसवेरा शिलापटक शिलापट्टक ६ २७ १ . तंड. रसी; पीब. Pus.तंड १२७ २ २५ यूलरे। પૂજારી रहनार शेजांतरीय पुरुष ६२८ १ १७ १, ७३; ५, १, ७१ के साथ रहनेवाला. ६२८ २ ७४ ૬૨ મનુષ્ય १ समान २२ सन्मान સુત્રને ६२६ २ १ पूर्व Name of पिरोनेके लिए पिरोकर किया ६३० २ २४लिका के दुईलिका jewel named | 630 2 26 of.......... of Aryaraksit Purobit Sari :: * -- ६ १६ १ १५ रनार. मनध्य ११६ १७५ १११ २ ३ 616 2 33 ६१७ १ १० 618 2 26 સુત્રના Name क्रिया । jewel ॐ www.jainelibrary.org

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