________________
=णक्खत्त मंडल - नक्षत्र मंडल. =
• आदी
हस्त
:: ... पुष्य
" मृगशिर
अश्लेषा
उत्तरायन
. चित्रा
...रोहिणी
पुनर्वस
कृतिका
मघा..
"पूर्वाषाढा
ज्येष्ठा
...it
14.
विशावा.
भरणी
अश्विनी
रेवती
उ.भा.
पूवाफाल्गनी..
पूर्वा भाद्रपद
शतभिषक
पनिष्टा
उतराषाढा.
डला
भवण
अभिजित
अभिजित
५१०याजनमा.
उत्तराषा टा
भवण
हारे
धनिष्श
शतभिषक
•पूर्वा भाद्रपद
रेवति
अश्विनी
मरणी
पूर्वा फाल्गुनी
.... विशारवा
जनराधा ... अनुराधा
ज्येष्ठा
कृतिका रोहिणी
पुनर्वस
पूर्या पाठा
• *.मघा
चित्रा
D.V.TALSANIANE
-दक्षिणायन
मृगशिर -
:: .:. हस्त
आद्रा .
अश्लेषा
ने यसमाना
णक्खत्तमंडल. न० (नक्षत्रमगडल) नक्षत्रने यासवानी भार्गः नक्षत्रने याथाना माई भाग-मांडा. तेभा या नक्षत्र। ये ये मासे यावे, ते HERनातरानी संध्या ४0 ४ी छ भने तेनी मातिय ते ॥ चित्रमा थुछ. नक्षत्र के चलने का मार्ग। नक्षत्र के चलने के माठ मार्ग है । में कौन कौन नक्षत्र किस किस मार्गसे बनते हैं, उस नक्षत्रों के तारों की संख्या कितनी है और उनकी माकृति कसी है ये बात इस किमें दिखाई गई हैं। A course
particular constellation has got to run; there are eight courses, in all, for the constellation; to run. The Firen illustration explains particular courses assigned to particular constellations, the number of the stars mbich each constellation has got aud its shape.
चलते हैं;
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org