Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 4
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 878
________________ सेयरय ] ( ८५४) Food मेजांतरी का भक्त - भोजन, Sejāntariyā. भग० ५, ६ सेज्ञायरय पुं० ( शय्यातस्क ) सेनांतरी साधुने रहेवानुं स्थान आपनार सेजान्तरी; साधु को रहने के लिए स्थान देनेवाला. (One) who offers lodging to an ascetic. भग० १५, १; सेटू. त्रि० (श्रेष्ठ) श्रेष्ट उत्तम श्रेष्ठ उत्तम Best सू० १, ६, ६; दा० ६, १६: सेट्ठि. पुं० ( श्रेष्ठिन् ) भेने राज्भ तरइथी શ્રી દેવતાના ચિન્તવાળા પદો આપવામાં આવ્યા હાય તે; નગરશે; नगरशे शाबु२. नगरशेठ शाहूकार राजासे प्राप्त श्री देवता के किन्हवाले पट्टेवाला Chief merchant of a city who is honoured by a king. नाया० १ २ ५; ७; भग० १, ६ ११, ११:१८, २; ओव० सम० ३० अणुओ १६: १३१; पन्न० २५३ जीवा० ३, ३: १६ ० ० रा० अंत ६, ३ सू० १, २, १, ५० १, १२: कुल. न० ( - कुल ) नगर३. नगरशेठ का ० पुं० कुल. Family of a chief merchant. faar 9; 4; सेठिय. ० ( श्रेष्टिक ) लुभे। "मेट्टि" शुम्ह देखो "महि'' शब्द Vide "सेडि. " नाया० ३: सेडिय. ५० (मेटिक ) पर्वग लतनी भेड જાતની એક वनस्पति लतनुं पास, पर्वग जाति की एक वनस्पति एक जाति का घास. A kind of grass. पत्र० १ भग० २१, ६ सेडिया. स्त्री० (सेटिका ) सह भाटी जडीसेडी भाटी, सफेद मिट्टी खड़ी; खड़िया मिट्टी. White chalk आया० २, १,६, ३३; सेडी. स्त्री० ( सेटी ) रामरायनी पांवाल मेड पक्षी. रोमराय के पंखोंवाला एक पक्षी. A feathery bird. १० १ सेढि. श्री० (श्रेणि) पंडित द्वार श्रेणि dfs; sare; But. A row. जं० प० Jain Education International of १, १२, ४, ६५, ५, ११६; ६, १२५; ७, १५१; भग० ६, ५, ७, ६; १२, २; २५, ३, ३४, १; ओव० १०; अणुजो० ७ जे० १० नंदी० ३१: जीषा० ३. ३० राय० ४६ २५८: विशे० ३५१ ० च० ५, ८२; (२) आशना हेरानी सांगी પંક્તિ; આકાશ પ્રદેશ श्रेसि आकाश प्रदेश की लम्बी पंक्ति; आकाश प्रदेश की श्रेणी. A long row of space. क० ० ५, ६७ कम० १, ८ क० प० २, १०६ : अजो० १३४; विशे० ३५२; (3) ઉપશમ અથવા ક્ષેપક શ્રેણિ भांनी गमे ते खेड. उपशम अथवा क्षपक श्रेणी में चाहे जौनसा एक. One of the subsidential or destructive ladders. विशे• १२८३; - दुहओ बँका. For Private & Personal Use Only ७ सेटि ● ASSASS उज्जुआयता - - एगओ वंका HI श्रेणी 8 - एगओ खड़ा बुआ स्वा [ सेडि. - चुक वाला. - अध्ध चक्क वाला - DY.T. (૪) જીવ એક ગતિમાંથી બીજી ગતિમાં જતાં તેના માર્ગમાં આકાશ પ્રદેશની જે પક્તિ ભૂ www.jainelibrary.org

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