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सुपासनाह. ]
of Jambudvipa. सम० प० २४३; (૩) જમ્બુદ્રીપના ભરતખંડમાં થનાર ત્રીજ્ઞ तीर्थ ५२. जम्बूद्वीप के भरतखंड में होनेवाले तीसरा तीर्थकर. The 3rd would be
Tirthankara in Bharata Khaida of Jamūdvipa सम० प० २४१; (४) भे नामना गर्छ उत्सर्पिसी अणना श्री अ:२. गत उत्सर्पिणी कालके तीसर कुलकर का नाम Name of the 3rd Kulakara of the past aeon of increase. सम० प० २२६ (५) दीपना ભરતખંડમાં થનાર ખીન્ન તીર્થંકરના પૂર્વभवनं नाम जंबूद्वीप के भरतखगडमें होनेवाले दूसरे तीर्थकर के पूर्वभव का नाम. Name of the previous life of the 2nd Tirthaikara to be born in Bharata khanda of Jamudvipa. सम० १० २४१; (१) मीना એવત ક્ષેત્રમાં ચાલુ અવસર્પિણીમાં થયેલ १८:२ जम्बूद्वीप के ऐवत क्षेत्रमं चलत् अवसर्पिणी में उत्पन्न १८ वें तीर्थंकर. The 18th Tirthankara born in the current aeon of decrease in Airavata region of Jamũdvipa. समय प० २४० (७) लगवान મહાવીર સ્વામીના કાકા કે જેણે મહાવીર પ્રભુના તીર્થમાં તીર્થકર નામ ગેત્ર આંધ્યું, भगवान् महावीर स्वामी के काका जिन्होंने महावीर प्रभु के तीर्थमें तीर्थकर नाम गोत्र बांधा. The uncle of the Lord Mahavira Svāmi who bound the Tirthankara Nama Gotra in the Tirtha of the Lord Mahā.
vira. डा० ६, १; आया० २, १५, १०६६ सुपासनाह. पुं० ( प्रार्थनाथ) क्षेत्रमां दि १८ मा तीर्थ एखत क्षेत्र के भावी
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[ सुपुरिस.
१८ वें तीर्थकर The 18th would-be Tirthankara in Airavata gion. प्रव० ३०३; सुपी पुं० ( मुबीत ) त्रीस मुहूर्तभानुं पाय मुहूर्त तीस मुहूर्तमेंसे पाँचवाँ मुहूर्त. The 5th of the 30 Muhurtas ( part of a day ) सम० ३० सू०
प० १०;
सुपुंख. पुं० ( सुपुंक्ष ) मे नामनं पांयभा દેવલાકનું એક વિમાન કે જેમાં વસતા દેવેાનું १२ सागरनुं आयुष्य हे पाँच देवलोक के एक विमान का नाम जिस के निवासी देवताओं की आयु १२ सागरोपम है. A celestial abode so named of the 5th Devaloka, whose gods live for 12 Sāgaropamas.
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सम० १२;
सुपुंड. पुं० ( सुपुण्ड्र ) से नाम पांयमा દેવોકનું વિમાન કે જેમાં વસતા દેવાનું १२ सागरनं आयुष्य हे पाँचवें देवलोक के एक विमान का नाम जिसके देवों की आयु १२ सागरोपम हैं. A celestial abode so named of the 5th Deva loka, whose gods live for 12 Sāgaropamas. सम० १२: सुपुप्फ. पुं० ( सुपुष्प ) मे नामनं दशमा દૈવલેાકનું એક વિમાન કે જેના દેવતાની स्थिति वीस सागरोपमनी छे दशव देवलोक का एक विमान जिस के देवों की स्थिति २० सागरोपम है. A celestial abode of the 10th Devaloka, whose gods live for 20 Sāgaropamnas. सुम० २०:
सुपुरिस. पुं ( पुरुष ) व्यंतर देवतानो छेन्द्र व्यंतर देवता का इन्द्र.
(रिस जनना किंपुरुष जाति के The lord of
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