Book Title: Anusandhan 2016 09 SrNo 70
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 108
________________ जुलाई-२०१६ १०१ वाचक राजरत्न कृत शत्रुञ्जय-चैत्यपरिवाडी स्तवन - सं. जिज्ञान विशाल शाह भूमिका उपाध्याय श्रीराजरत्नकृत "शत्रुञ्जय-चैत्यपरिवाडी" नामक रचना अत्रे प्रस्तुत करतां आनन्द अनुभवाय छे । कृतिनी अन्तिम कडीमां थयेला उल्लेख प्रमाणे संवत १७०४ मां आ रचना थई छे. कर्ता कविश्रीने शत्रुञ्जय तीर्थनी यात्रा करवानो मनोरथ थयो, अने तेमने यात्राए जई रहेला एक संघनो साथ मळी गयो, तेनी साथे पोते करेली यात्रानुं अने शत्रुञ्जय उपरना ते समयनां चैत्यो तथा बिम्बो तेमज धर्मस्थानोनुं आ कृतिमां तेमणे वर्णन आप्युं छे, जे इतिहासनी दृष्टिए घणुं महत्व- लागे छ । . उपा. राजरत्नजी तपागच्छना आ. लक्ष्मीसागरसूरि-विशालसोमसूरिनी परम्परामां १७मा सैकाना पश्चार्धमां थयेला साधु-कवि छे. तेमणे आ रचना उपरान्त बीजी पण विविध कृतिओ रची छे : १. अर्बुदगिरि चैत्यपरिपाटी, २. गिरनारमण्डन नेमिजिनस्तवन, ३. विशालसोमसूरि भास वगेरे । आ · कृतिनी बे पानानी एक हस्तप्रत कोबा - श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिरना संग्रहमांथी प्राप्त थई छे (झेरोक्स नकल) । तेमां प्रान्ते "इति श्रीचैत्यपरवाडिस्तवनं वीजापुरमध्ये लिखितं । रषि वनिसूंदर पठनार्थ" एटली ज पुष्पिका जोवा मळे छे, पण लेखनसंवत् नथी. सम्भव छे के कर्ताना पोताना हाथे ज लखायेली ए प्रत होय. लखावट अढारमा शतकनी अनुमानी शकाय तेम छे. आ प्रत आपवा बदल कोबा-संस्थाना व्यवस्थापकोनी आभारी छु । सं. २०७२ना पोष महिने महावीर जैन विद्यालयना उपक्रमे डो. धनवंत शाहना आयोजनमा 'जैन साहित्य समारोह' सोनगढ मुकामे योजायो हतो त्यारे आ रचनाने लईने निबन्धवांचन करेलुं. ते निबन्धना सार साथे ए रचना प्रगट करतां आनन्द थाय छे । शारद मनि समरीस हा रे लो, प्रणमि सहिगुरु पाय रे, चतुरनर चैत्यप्रवाडी सिद्धक्षेत्रनी रे लो, गायस्यु कवि सुखसाय रे, चतुरनर

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