Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 8
________________ अनुक्रमणिका सम्पादन अज्ञातकर्तृकं वैराग्यकुलकम् सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १ प्राचीन पांच रचनाओ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ५ द्रव्यपर्याययुक्तिः / स्याद्वादचर्चा सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय १८ श्रीपार्श्वनाथसमसंस्कृतस्तवः सं. मुनि धर्मकीर्तिविजयगणि ३६ शिवमण्डनगणिविरचितं वागडपद्रपुरमण्डनआदिनाथस्तवनम् . . सं. अमृत पटेल ३८ . मानाङ्कनृपतिविरचितं पूर्णतल्लगच्छीय-. श्रीशान्तिसूरिकृतटीकोपेतं वृन्दावनकाव्यम् __ सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय ४३ महोपाध्यायश्रीमेघविजयगणिकृत चतुर्विंशतिजिनस्तवः मगसीपार्श्वस्तवनं च सं. सा. विनयसागर ६५ . श्रीविजयसेनसूरिजी उपरना बे पत्र-लेखा सं. मुनि सुयशचन्द्र ___ सुजसचन्द्रविजय ६९ मेघकुमारना बारमासा सं. अनिला दलाल ८३ अम्बिकाचउपई सं. किरीट शाह ८९ सं. १९१२मां सूरतना एक श्रावके लीधेल १२ व्रतनी टीप सं. विजयजगच्चन्द्रसूरि ९१ स्वाध्याय अर्हत् पार्श्वनो असली समय मधुसूदन ढांकी ११७ जैन दर्शन का नयसिद्धान्त प्रो. सागरमल जैन १२० जैन दर्शन का निक्षेपसिद्धान्त प्रो. सागरमल जैन १३१ ___ 'कज्जमाणे कडे'मां नयसम्मति मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय १३५Page Navigation
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