Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 12
________________ फेब्रुआरी - २०१५ धन्ना हु बालमुणिणो जाणं अंगम्मि निव्वुडो कामो । नवि नाओ पेम्मरसो सज्झाए वावडमणेहिं ॥१७॥ धन्ना हु बालमुणिणो जाय च्चिय जे जिणे समल्लीणा । न य ण(ज)न्ति कुसुइमग्गे पडिकूले मोक्खमग्गस्स ॥१८॥ इय ते मुणिणो धन्ना पावारंभेसु जे न वति । सूडिंति कम्मगहणं तवकड्डियतिक्खकरवाला ॥१९॥ अम्हे उण नीसत्ता सत्ता विसएसु जोव्वणुम्मत्ता । परिवियलियसत्तीया तवभारं कह वहीहामो? ॥२०॥ पेम्ममउम्मत्तमणा पणट्ठलज्जा जुयाणकालम्मि । संपइ वियरियसारा जिणवयणं कह करीहामो ? ॥२१॥ सारीरबलुम्मत्ता तइया अप्फोडणेक्कदुल्ललिया । न तवे लग्गा एन्हि तवभारं कह वहीहामो? ॥२२॥ अगणियकज्जाकज्जा रागद्दोसेहिं मोहिया तइया । जिणवयणम्मि न लग्गा एन्हि पुण किं करीहामो? ॥२३॥ जइया धीए व(ब?)लिं(लि)या कलिया सत्तीए दप्पिया हियए । तइया तवे न लग्गा भण एन्हि किं करीहामो ? ॥२४॥ जइया निदुरदेहा सत्ता तवसंजमम्मि उज्जमिउं । न य तइया उज्जमिया एन्हि पुण किं करीहामो? ॥२५॥ जइया मेहाजुत्ता सत्ता सयलंपि आगमं गहियं(उ) । न य तइया पव्वइया एन्हि वड्डा य जड्डा य ॥२६॥ इय वियलियनवजोव्वण-सत्तिल्ला संजमम्मि असमत्था । .... पच्छायावपरद्धा पुरिसा झिज्जति चिन्ता ॥२७॥ जइ तइया विरमंतो सम्मत्तमहादुमस्स पारोहे । अज्जदियहम्मि होतो सत्थपरमत्थभंगिल्लो ॥२८॥ जइ तइया विरमंतो सुयनाणमहोअहिस्स तीरम्मि । उच्चितो अज्जदिणं भव्वाई सुसीसरयणाई ॥२९॥ जइ तइया विरमंतो आरूढो जिणचरित्तपोयम्मि । संसारमहाजलहिं हेलाए चेव तीरंतो ॥३०॥

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