Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-६६
कइया खणं विबुद्धो विरत्तसमयम्मि कायमणगुत्तो । चरणकरणाणुयोगं धम्मज्झयणे अणुगुणिस्सं ? ॥३॥ कइया उवसंतमणो कम्ममहासेलकढिणकुलिसत्थं? । वज्जं पिव अणवज्जं काहं गोसे पडिक्कमणं ? ॥४॥ कइया कयकायव्वो सुमो सुत्तत्थपोरिसिं काउं । वेरगमग्गलग्गो धम्मज्झामि वट्टिस्सं? ॥५॥ कइया णु असंभंतो छट्टमतवविसेसससंतो । जुगमित्तनिहियदिट्ठी गोयरचरियं पवज्जिस्सं ? ॥६॥ कइया वि हसिज्जतो निंदिज्जतो य बालमूढेहिं । सममित्तसत्तुचित्तो भमिज्ज भिक्खं विसोहितो ? ॥७॥ कइया ं खणवीसंतो धम्मज्झयणे समुट्ठिओ गुणिउं । रागद्दोसविमुक्को भुंजे सुत्तोवएसेणं ? ॥८॥ कइया कयसुत्तत्थो संसारेगत्तभावणा काउं । सुन्नहरमसाणेसुं धम्मज्झाणम्मि ठाइस्सं ? ॥९॥ कइया णु कमेण पुणो फासुयएसम्म कंदरे गिरिणो । आराहियचउखंधो देहच्चायं करीहामि ? ॥१०॥ इय सत्तसाररहिओ चिंतेइ च्चिय मणोरहे नवरं । एस जिओ महपावो पावारंभेसु उज्जमइ ॥११॥ धन्ना हु बालमुणिणो बालत्तणयम्मि गहियसामन्ना । खण-रसियनिव्विसेसा जेहिं न दिट्ठो पियविओगो ||१२|| धन्ना हु बालमुणिणो अकयविवाहा अणायमयणरसा । अद्दिट्ठदइयसोक्खा पव्वज्जं जे समल्लीणा ॥१३॥ धन्ना हु बालमुणिणो अगणियपेम्मा अणायविसयसुहा । अवहत्थियजियलोया पव्वज्जं जे समल्लीणा ॥ १४ ॥ धन्ना हु बालमुणिणो उज्जुयसीला अणायघरसोक्खा । वियम्मि वट्टमाणा जिणवयणं जे समल्लीणा ||१५|| धन्ना हु बालमुणिणो कुडुंबभारेण जे य नोच्छइया । जिणसासणम्मि लग्गा दुक्खसयावत्तसंसारे ॥१६॥

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