Book Title: Anusandhan 2010 06 SrNo 51
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 50
________________ कश्चिज्जनो लज्जितहृज्जडिम्ना कश्चित् प्रत्यानयति मनुजो कोऽयं नाथ ! जिनो भवेत्तव चञ्चच्चामीकराभप्रवरवरतनुचतुर्विंशतिं तीर्थनाथान् प्रणम्य चिदानन्दं नत्वा विशदविधिनाजय जनतारक हे ! जगदाधारक जय जय जनतारक हे जगदाधारक जय जय वागीशे जयदात्रि जय वीतमोह ! जय वीतदोष ! जयकरजन्तुकृपालय जयति विजयलक्ष्मीवासवेस्मा (वेश्मा)जयसि साकर मोदक हेशसी जिनकुशलं सूरीशम् जिनवरेन्द्र ! वरेन्द्रकृतस्तुते ! जैनं मैमांसकं बौद्धं साङ्ख्यम् सारस्वतोल्लासकाव्य नेमिराजीमतीवर्णन (मेघदूतरीत्या) सूक्तावली शान्तिजिनस्तोत्र (आनन्दानन्द-पादपूर्ति) मेदपाटतीर्थमाला आनन्दलहरी (सौन्दर्यलहरी - पादपूर्ति) पार्श्वजिनलघुस्तवन पार्श्वनाथगीत सरस्वतीस्तोत्र समस्तजिनस्तुति आदिनाथस्तुति (कुटुम्बनामगर्भित ) राणभूमीशवंशप्रकाशः वीरजिनस्तोत्र (सुखाशिकानामगर्भित) जिनकुशलसूरिछन्दः पार्श्वनाथस्तोत्र षड्दर्शनपरिक्रम (गूर्जर - अवचूरि सह ) 3 ≈ 2 1 ∞ w 2 2 u I १५ २३ १४ ३८ ३७ ४३ ११ १८ ४८ ८ 322 20 २३ २५ ८ २३ ४८ २८ १४ १ ३५ ९२ २८ ३८ ४६ ६४ १०२ * * * w 2 x 2 o ४६ ६३ ८८ १८ ४४ ८६ २२ ४८ २९ १ ४६ अनुसन्धान ५१

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