Book Title: Anusandhan 2010 06 SrNo 51
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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५२ ५८ ४०
जून २०१०
१०
८६
गांगेयभंगप्रकरण-सस्तबक - कृतिना कर्ता विशे ऊहापोह (यशोविजयजी के पद्मविजयजी ?)
शीलचन्द्रसूरिजी
२ यतिदिनचर्या : वृत्तिनी गवेषणा
प्रद्युम्नसूरिजी
२ जैन तीर्थस्थान तारंगा : एक प्राचीन नगरी
रमणलाल महेता, कनुभाई शेठ हीरसौभाग्यम्-नी स्वोपज्ञवृत्तिमां प्रयुक्त तत्कालीन गुजराती-देश्य शब्दो प्रह्लाद पटेल सालिभद्र-धन्ना-चरित-ना कर्ता तथा एने अनुषंगे केटलुक जयन्त कोठारी घवळी १
खोडीदास परमार उवहाण-पइट्ठा-पंचासग-परथी फलित थतो एक मुद्दो
शीलचन्द्रसूरिजी उमास्वाति-आर्यसमुद्रनां नवप्राप्त पद्यो विशे
मधुसूदन ढांकी केटलाक कथाघटको (९)
हरिवल्लभ भायाणी अंगविज्जा-मां निर्दिष्ट भारतीय ग्रीककालीन अने क्षत्रपकालीन सिक्का हरिवल्लभ भायाणी प्रियतमा वडे प्रियतमनुं स्वागत
हरिवल्लभ भायाणी शत्रुजयमंडन-ऋषभदेवस्तुति-नी प्राप्त वधु हस्तप्रतो
भुवनचन्द्रजी
६ जैन-गुर्जर-कविओ (संशोधक-जयन्त कोठारी)नी प्रकाशन वेळाना त्रण लेखो - अखण्ड दीवानो विस्तरतो उजाश
प्रद्युम्नसूरिजी - कालजयी साहित्यकृतिना पुनरुद्धारक- अभिवादन । शीलचन्द्रसूरिजी
९ - समुद्धारयज्ञनी पूर्णाहुति
हरिवल्लभ भायाणी १. १७.१६२
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९४ ९७ ९८
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