Book Title: Anusandhan 2010 06 SrNo 51
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 133
________________ जून २०१० १२९ ३. प्रकाशन-परिचय अनुसंधानमा घणां घणां प्रकाशनोना उल्लेख, मात्र सम्पादक वगेरेनी माहिती साथेनो निर्देश, संक्षिप्त परिचय, विस्तृत परिचय अथवा समीक्षा करवामां आव्या छे. घणी वार प्रवर्त्तमान संशोधन-सम्पादन वगेरेनी संक्षिप्त के विस्तृत माहिती आपवामां आवी छे. कोईक पुस्तकमां आवेला उपयोगी लेखनी जाणकारी पण केटलीक वार अपाई छे. जेमांथी, आ अनुक्रमणिकानी मर्यादा ध्यानमा राखीने जेमना संक्षिप्त के विस्तृत परिचय अने समीक्षा करवामां आव्या होय तेवा प्रकाशनो तेमज विस्तृत माहिती आपवामां आवी होय तेवा सम्पादनोनी ज स्थाननिर्देश साथेनी अकारादिक्रमे सूची आपी छे. तेमां देवनागरी-लिपि अने रोमन-लिपिमा नाम धरावता ग्रन्थोने अनुक्रमे विभाग-१ अने २-मां समाव्या छे. वाचकोनी सगवडता माटे आ प्रकारनी माहिती धरावता तमाम स्थानोनी सूची विभाग-३-मां आपी छे.

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