Book Title: Anusandhan 2010 06 SrNo 51
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 142
________________ १३८ १ २५ ३३ ९२ ५० (१) १५१ प्र. - जैनधर्मप्रसारण ट्रस्ट, सुरत धर्मरत्नकरण्डक (टीका-स्वोपज्ञ) क. - वर्धमानसूरिजी सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी धर्मशिक्षाप्रकरणम् (सटीक) क. - जिनवल्लभसूरिजी टी. - जिनपाल उपा. सं. - विनयसागरजी प्र. - प्राकृत भारती, जयपुर नयविंशिका क. - अभयशेखरसूरिजी प्र. - दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोळका नलचम्पू और टीकाकार महो. गुणविनय : एक अध्ययन क. - विनयसागरजी प्र. - प्राकृतभारती, जयपुर नवतत्त्वसंवेदनप्रकरण क. - अम्बप्रसाद सं. - धर्मतिलकविजयजी प्र. - स्मृतिमन्दिर प्रकाशन, अमदावाद नियतिद्वात्रिंशिका (सविवेचन) क. - सिद्धसेन दिवाकर वि. - भुवनचन्द्रजी प्र. - जैनसाहित्य अकादमी, गांधीधाम २८ १०२ ८६ २१ ६६ अनुसन्धान ५१

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