Book Title: Anusandhan 2006 06 SrNo 36
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ June-2006 वर्ष; तेमा वि.सं.ना १३०० वर्ष उमेरतां १७७० वर्ष थाय. तेमां वीर-जीवनना ७२ वर्ष पैकी ३७ वर्ष बाद करीने शेष रहेता ३५ वर्ष उमेरीए तो १८०५ वर्ष थाय. अहीं कर्ताए ९९ मी गाथामां 'किंचूणा अट्ठारस-वाससया एयपवरतित्थस्स' अर्थात् 'वर्तमानमां आ प्रवर तीर्थने किञ्चित् न्यून १८०० वर्ष थयां छे' एवो निर्देश आपेल छे तेने लक्ष्यमां लईए तो, कर्ताने १८०५ करतां दसेक वर्ष वहेला (आ स्तवना रचनाकार तरीके) लई जवा पड़े, तो १७९५ वर्षों (आ तीर्थना निर्माणने, कर्ताना समयमां) थयां होवानो अंदाज मांडी शकाय. आ समय विक्रम तेरमा शतकनी अन्तिम पच्चीसीनो समय थयो गणाय. ए रीते कर्तानो सत्तासमय तथा आ कृतिनी रचनानो समय पण तेरमा सैकानो उत्तर भाग होवानुं आपोआप निश्चित थई जाय छे. गा. १०० मां तारणगिरि (तारंगा), कुमारपाल, अजितनाथ- स्मरण थयुं छे. गा. १०१मां वायटनगरस्थित मुनिसुव्रतजिननी जीवंतस्वामीरूप प्रतिमानो तेमज १७०० वर्ष (ते काळे) पुराणी वीरजिन-प्रतिमानो उल्लेख नोंधपात्र छे. जे प्रतिमा चमत्कारिक होय तेने जीवंतस्वामी तरीके ओळखवानी प्रथा हशे ? गा. १०२मां श्रीमाल, आरासण, ब्रह्माण (वरमाण), आनन्दपुर, सिद्धपुर, कासद्रह, अज्जाहर (अजारा) वगेरे ऐतिहासिक स्थळोनो उल्लेख थयो छे. गा. १०३-०४मां गुर्जर, मालव, कोंकण, महाराष्ट्र, कच्छ, पांचाल, मरुदेश, सांभर (शाकम्भरी), मथुरा, हस्तिनापुर, सौरीपुर, त्रिभुवनगिरि, गोपगिरि, काशी, अवंती, मेवाड आदि देशोमां वर्ततां दृष्ट-अदृष्ट तथा श्रुत-अश्रुत जिनबिम्बोनी स्तुति करी छे. त्यार पछीनी १०५-१११ गाथाओमां शास्त्रोमां वर्णित विभिन्न क्षेत्रो । प्रदेशोमां विद्यमान विविध प्रकारनी जिनप्रतिमाओनी, त्रिकालभावी तीर्थंकरोनी, शाश्वत-अशाश्वत सघळां तीर्थोनी, जिनवरोनां कल्याणकोनी भूमिओनी वन्दना करवापूर्वक पोतानुं नाम वर्णवीने कविए रचना समाप्त करी छे. भावनगरनी जैन आत्मनन्दसभाना ह.लि. ग्रन्थसंग्रहगत एक प्रतिनी झेरोक्स नकलना आधारे आ रचनानुं सम्पादन थयुं छे. आनी अन्य प्रति जो मळी आवे तो जे पाठ त्रूटे छे ते मेळववानुं सुगम थई शके. प्रतिनी झेरोक्स आपवा बदल ते सभाना कार्यवाहकोनो आभारी छु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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