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अनेकान्त 61/ 1-2-3-4
पीढ़ियों का ही वंशानुक्रम दिया गया है जबकि 'पद्मपुराण' और 'हरिवंशपुराण' के अनुसार 32 पीढ़ियों की गणना की गई है। इसके अतिरिक्त राजाओं के नामों से सम्बद्ध पाठभेद भी उपलब्ध होते हैं। उदाहरणार्थ चौथी पीढ़ी में 'पउमचरिय' के अनुसार राजा का नाम 'सिंहयशा' है तो 'पद्मपुराण' के अनुसार राजा का नाम 'सितयशा' और 'हरिवंशपुराण' में उसका पाठभेद 'स्मितयशा' मिलता है। 189 इसी प्रकार नौवीं पीढ़ी का राजा 'पद्मपुराण' में 'अमृत' है तो 'हरिवंश' के अनुसार 'अमृतबल' है परन्तु 'पउमचरिय' में इस नाम के किसी भी राजा का उल्लेख नहीं मिलता । "" चौदहवीं पीढ़ी में 'पउमचरिय' के अनुसार राजा 'शशिप्रभ' अन्य दोनों पुराणों में 'शशी' के नाम से उल्लिखित है। 'पउमचरिय' में 'सुवीर्य' (20) का 'महावीर्य' के रूप में, 'उदितपराक्रम' ( 21 ) का 'उदितवीर्य' के रूप में, 'अविध्वंश' (28) का 'अरिदमन' के रूप में और 'वृषभध्वज' (30) का 'वृषभकेतु' के रूप में नामोल्लेख मिलता है।
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'हरिवंशपुराण' ने सतरहवीं पीढ़ी में राजा ' तपन' के बाद 'प्रतापवान्' का उल्लेख किया है जबकि 'पउमचरिय' और 'पद्मपुराण' में इसे 'तपन' का ही विशेषण माना गया है । ""
'हरिवंशपुराण' के अनुसार भगवान् ऋषभदेव के युग में भरत आदि चौदह लाख इक्ष्वाकुवंशीय राजा लगातार मोक्ष को प्राप्त हुए। उसके बाद एक राजा सर्वार्थसिद्धि में अहमिन्द्र पद को प्राप्त हुआ, फिर अस्सी राजा मोक्ष गए परन्तु उनके बीच में एक-एक राजा इन्द्र पद को प्राप्त होता रहा । १३
2.5 तीर्थङ्कर अजितनाथ के बाद इक्ष्वाकु वंशावली
जैन पुराणों के अनुसार प्रथम तीर्थङ्कर ऋषभदेव का युग समाप्त होने पर धार्मिक क्रियाओं में शिथिलता आने लगी थी । " " तब भी अनेक इक्ष्वाकुवंशी राजाओं ने अयोध्या में राज्य किया था। सूर्यवंशी राजाओं की इसी इतिहास परम्परा में धरणीधर नामक राजा हुए। उनकी स्त्री का नाम श्री देवी था तथा उनके त्रिदशंजय नामक पुत्र हुआ । त्रिदशंजय के पुत्र का नाम जितशत्रु था। पोदनपुर के राजा व्यानन्द की पुत्री विजया के साथ इसका विवाह हुआ। जितशत्रु और रानी विजया से जैन धर्म के द्वितीय तीर्थङ्कर अजितनाथ का जन्म हुआ। 97 जितशत्रु के छोटे भाई विजयसागर थे। उनकी स्त्री का नाम सुमंगला था। उन दोनों से सगर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। " सगर भरत चक्रवर्ती के समान ही अत्यन्त पराक्रमी द्वितीय चक्रवर्ती सम्राट हुआ। 1% सगर के साठ हजार पुत्रों में जह्नु राज्य का उत्तराधिकारी बना- और जह्रु का पुत्र राजा भगीरथ हुआ।