Book Title: Anekant 2008 Book 61 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 195
________________ अनेकान्त 61-1-2-3-4 260. " अउज्झाए एगट्ठआई जहा अउज्झा अवज्झा कांसला विणीया साकंयं इक्खागुभूमी रामपुरी कांसल ति। एसा सिरिउसभ अजिअ अभिनंदण-सुमई- अणंतजिणाणं तहा नवमस्स मिरित्रीगणहरस्स अयल भाउणो जम्मभूमी रहुवंमुब्भवाणं दसरह राम-भरहाईणं च रज्ज ठाणां। विमल वाहणा इसत्तकुलगरा इत्थ उप्पन्ना ।। " जिनप्रभमूरिविरचित 'विविध तीर्थकल्प', मिंत्री जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थाङ्क 10; मुख्य सम्पादक - जिन विजय, शान्तिनिकेतन, 192 - 1931, पृष्ठ 24 261. 'तओ विणीयत्ति सा नयरी रूढ़ा ।' वही, पृष्ठ 24 262. ' जत्थ अज्ज वि नाभिरायस्स मन्दिरं । जत्थ य पासनाहवाडिया मीयाकुंडं सहम्सधारं च । पायारटिओ अ मत्तगयंद जक्खां ।' वही, पृष्ठ 24 .. 263. ' जत्थ चक्कंसरी रयणमयायर्णान अर्पाडमा संघविग्धं हरेद्र, गांमहजबी अ । ' वही, पृष्ठ 24 264. 'जत्थ घग्घग्दो सरऊनईए समं मिलित्ता सग्गदुवारं ति पसिद्धिमावन्नी । ' - वही, पृष्ठ 24 265. "From all this we conjecture that Jinaprabhasūri has avoided mentioning too explicitly the Adinatha temple near Svargadvāra, since it was no longer there at the time that he wrote " हैन्स बैकर, 'अयोध्या', भाग- 1. पृष्ठ 40 266. 'कहं पुण देविंदमुरी हि चत्तारि बिंबाणि अउज्झापुराओ आणीयाणी त्ति भगणाइ संरीसयनयर विहरता आराहिआ।' विविधतीर्थकल्प पृष्ठ 24 267. शिव प्रसाद, 'जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन'. पाश्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान. - वाराणसी, 1991 पृष्ठ 79-80 268. मोहनलाल दलीचन्द दंसाई, 'जैन साहित्यनां संक्षिप्त इतिहास', पृष्ठ 341 269. शिवप्रसाद. 'जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन', पृष्ठ 78 270. "Apart from a garden dedicated to Pārśvanātha, Jinaprabhasūri does not mention any other specific Jain building in Ayodhya. On the contrary, he describes how a certain Devendrasuri moved four Jain images through the air from Ayodhya to a place called Sarisaka (Serisayanayare) by his divine power. This might hint at the removal of images for fear of Muslim iconoclasm. Could there be any connection between the Adinatha images found along the Gomati and this removal?" हैन्स बेकर, ' अयोध्या', भाग-1 पृष्ठ 40 271. हैन्सबेकर, 'अयोध्या', भाग- 1 पृष्ठ 6. सारिणी - 2 272. जगदीश चन्द जैन, 'अयोध्या इन जैन ट्रेडिशन' (लेख), 'पुराण', 1994, पृ० 90 273. तिलोयपण्णनी, 4.526-49 - . 274. पद्मपुराण. 98.142-43 275. वराङ्गचरित, 27.81 276. हरिवंशपुराण, 8.150 277. उत्तरपुराण, सर्ग 48 278. वी० पी० जोहारपुरकर, 'तीर्थवन्दनसंग्रह' शोलापुर 1965, पृष्ठ 115 279. वही, पृष्ठ 105 28(). सर्वतीर्थवन्दना, छप्पय 81. 'तीर्थवन्दनसंग्रह', पृष्ठ 78 281. एच० आर० नेविल 'फैजाबाद : डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स ऑफ द यूनाइटिड प्रोविन्सिज़ ऑफ आगरा एण्ड अवध' इलाहाबाद, 1905. जिल्द संख्या - 43 पृष्ठ 57-58 ·

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