Book Title: Anekant 2008 Book 61 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
________________
अनेकान्त 61/ 1-2-3-4
47. आचार्य देवेन्द्र मुनि, 'वैदिक साहित्य में ऋषभदेव' (लेख) 'णाणसायर', पृष्ठ 81; गोकुल प्रसाद जैन, 'पुराणों में श्रमण परम्परा' (लेख) 'पुराणों में राष्ट्रीय एकता', सम्पा० पुष्पेन्द्र कुमार, नाग प्रकाशक, दिल्ली, 1990, पृष्ठ 214.
184
48. सायणभाष्य, ऋग्वेद, 10.136.1
49.
" आचार्य सायण ने 'केश स्थानीय किरणों का धारक' कहकर 'सूर्य' अर्थ निकाला है। प्रस्तुत सूक्त में जिन वातरशना साधुओं की साधना का उल्लेख है, उनसे इस अर्थ की कोई संगति नहीं बैठती।' आचार्य देवेन्द्र मुनि, 'वैदिक साहित्य में ऋषभदेव', पूर्वोक्त, पृष्ठ 81.
50. हीरालाल जैन, 'युग-युगान्तरों में जैन धर्म', ज्ञानभारती पब्लिकेशन्स, दिल्ली, पृ० 22
51. ऋग्वेद, 10.136.2
52. वही, 10.136.1
11
-
53. 'वातरशना: वातरशनस्य पुत्राः मुनयः अतीन्द्रियार्थदर्शिनो जूतिवातजूतिप्रभृतयः पिशङ्गा पिशङ्गानि कपिलवर्णानि मला मलिनानि वल्कलरूपाणि वासांसि वसते आच्छादयन्ति ।' (सायणभाष्य,
ऋग्वेद, 10.136.2 )
54. हीरालाल जैन, 'युग-युगान्तरां में जैन धर्म', पृष्ठ 24
55. ऋग्वद, 10.136.7
56. 'सूर्यमण्डले घनीभूतमस्य तदुदकं वायुरूपमथ्नाति । मन्थनंन वैद्युताग्निनालाडयति ।' ( सायणभाष्य,
ऋग्वेद, 10.136.7)
57. सायणभाष्य, ऋग्वेद, 10.166.1
58. ऋषभं मा समानानां सप्तनानां विषामहिनम् ।
हन्तारं शत्रूणां कृधि विराजं गोपतिं गवाम् ।। (ऋग्वेद 10.166.1)
50 वही, 10.166.5
((). तम्माद्विराळजायत विराजो अधिपूरुषः ।
स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथोपुरः ।। (ऋग्वेद 10.90.5)
61. उत्तिष्ठतस्तस्य जलार्द्रकुक्षेर्महावराहस्य महीं विगृह्य ।
विधुन्वतो वेदमयं शरीरं रोमान्तरस्था मुनयः स्तुवन्ति ।। (विष्णुपुराण, 1.4.29 ) 62. ब्रह्मरूपधरां देवस्ततोऽसौ रजसा वृतः ।
चकार सृष्टिं भगवांश्चतुर्वक्त्रधरां हरिः ।। (वही, 1.4.50 )
63 महाभारत शान्तिपर्व, 59.88-89
(" तनो ब्रह्माऽऽत्मसम्भूतं पूर्व स्वायम्भुवं प्रभुः । आत्मानमेव कृतवान् प्रजापाल्ये मनुं द्विज ।। शतरूपां च तां नारीं तपो निर्धूतकल्मषाम् ।
64. विष्णुपुराण, 1.4.50
स्वायम्भुवो मनुर्देवः पलित्वे जगृहे प्रभुः । (वही, 1.7.16-17 ) 66. हिमाह्वयं तु वै वर्ष नाभेरासीन्महात्मनः ।
तस्यर्षभोऽभवत्पुत्रो मेरुदेव्यां महाद्युतिः ।। (वही, 2.1.27 )
67. महाभारत, शान्तिपर्व, 59.89
68. वही, 59.90
69. ऋग्वंद, 10.166.5
70. आदिपुराण, 25.112
71. वही, 25.171 74. वही, 25.131
72. वही, 15.222, 25.171 75. वही, 25.100
73. वही, 25.131
ऐज़ एन अवतार ऑफ विष्णु', पूर्वोक्त, पृ० 324
76. पद्मनाभ एस. जैनी, 'जिन ऋषभ 77. सायणभाष्य, ऋग्वेद, 3.13.1
78. ऐतरेयब्राह्मण, 7.17
Page Navigation
1 ... 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201