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नेता दोनों पक्षों में समझौते के पक्षधर रहे हैं।
रांची हाईकोर्ट में मूर्तिपूजक श्वेताम्बरों के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सोमनाथ चटर्जी ने भी मुकद्दमें के निबटारे के लिए दोनों पक्षों में समझौते का प्रस्ताव किया था जिसे दिगम्बरों के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आर. के. जैन ने स्वीकार कर लिया था किन्तु श्वेताम्बरी मूर्तिपूजकों ने अपने ही वकील के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। वर्तमान में रांची हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिगम्बरों के अधिवक्ता श्री आर. के. जैन ने पुनः एकता का प्रस्ताव किया जिसे श्वेताम्बरी पक्ष ने अस्वीकार कर दिया।
यह जैन समाज का दुर्भाग्य ही है कि मुकद्दमेबाजी में समय और धन दोनों का अपव्यय हो रहा है। आज भी मैं इसी विचार का हूं कि मुकद्दमेबाजी में व्यय होने वाली विपुल धनराशि को बचाकर यदि समाज के हित में खर्च किया जाय तो हमारी एक पहचान विश्व के पटल पर निश्चित रूप से उभरेगी और हमारे तीर्थों का विकास होगा।
सम्मेद शिखरजी आन्दोलन समिति के आह्वान पर आज समूचा दिगम्बर जैन समाज एक जुट हो गया है। हमें अपनी एकता कायम रखनी है। शिखरजी ही नहीं, हमारे अन्य कई तीर्थों पर विवाद चल रहे हैं। समय रहते यदि दिगम्बर समाज न चेता तो हम अपने तीर्थों से वंचित हो जायेंगे। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने पूर्वजों की तरह भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, हीरा बाग सी. पी. टैंक मुम्बई-400004 के हाथ मज़बूत करें और नियमपूर्वक अपनी आय का कुछ अंश तीर्थों की रक्षार्थ कमेटी को दें। हर नगर-ग्राम की पंचायत इस पर विचार करे और स्थानीय समाज का सहयोग लिया जाय। हम अपनी एकता और समर्पण भावना से ही अपने तीर्थों की रक्षा में सक्षम होंगे। जो महानुभाव अधिक सहयोग की स्थिति में हैं वह स्वयं ही इस काम में अपना योगदान करें। शादी-विवाह, जन्मदिन व गमी आदि के अवसरों पर कमेटी को दान देना न भूलें। बूंद-बूंद जल से सागर बनता है। तीर्थक्षेत्र कमेटी मज़बूत होगी तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी।
महासचिव, वीर सेवा मंदिर
संपादन परामर्शदाता : श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन, संपादक : श्री पद्मचन्द्र शास्त्री प्रकाशक : श्री भारतभूषण जैन, एडवोकेट, वीर सेवा मंदिर, नई दिल्ली-2 मुद्रक : मास्टर प्रिंटर्स, नवीन शाहदरा, दिल्ली-32