Book Title: Anekant 1999 Book 52 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 141
________________ अनेकान्त/२० जिन साधु को भी भट्टारक पद का व्यामोह सताया है, वे स्वयं तो खतरनाक मोड़ पर खड़े ही हुए हैं, समाज को भी खतरनाक मोड़ पर खड़ा करने के दोषी हो रहे हैं। धीरे-धीरे ये भट्टारक वस्त्रादि का भी उपयोग कर समस्त परिग्रहों से युक्त हो सकते हैं। क्या समाज इन साधु नामधारी बालाचार्य को 'भट्टारक' पद पर अभिषिक्त कर जो जिनोक्तमार्ग में आरूढ़ हैं, उनका अवमूल्यन होने का रास्ता खोलेगी? निश्चित रूप से कहीं की भी समाज ने यह निर्णय लिया तो वह उसका और उन मुनि नामधारी का आत्मघाती कदम होगा। अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद् एक मत से किसी दिगम्बर मुनि के भट्टारक पद पर अभिषिक्त होने का जोरदार विरोध करती है तथा अपने समस्त सदस्यों का आह्वान करती है कि उपर्युक्त नूतन भट्टारकीय पट्टाभिष्क समारोह का पुरजोर बहिष्कार करें और इसे सम्पन्न न होने दे तथा इसके विरोध में खुलकर आवाज उठाएं। समस्त अखिक्तभारतवर्षीय दिगम्बर जैन संस्थाओं से निवदेन है कि उपर्युक्त भट्टारकीय पट्टाभिषेक समारोह का पूरा-पूरा विरोध करें। यह जैनत्व और दिगम्बरत्व की रक्षा का प्रश्न है और इस हेतु जैन समाज हर प्रकार का त्याग करने को प्रस्तुत रहे। श्रवण बेलगोला के भट्टारक स्वस्ति श्री चारुकीर्ति जी महाराज से हमारा नम्र निवेदन है कि उपर्युक्त समारोह को आप अपना किसी भी प्रकार का समर्थन न दें। यदि यह बुरी आँधी एक बार चल पड़ी तो आज अनेक संस्थाओं के शिथिलाचारी भट्टारक बनने का स्वप्न देख रहे हैं, उनके 'भट्टारक' बनने पर साधु संस्था को बहुत बड़ी चोट पहुंचेगी। -अध्यक्ष अखिल भारतीय वर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद् जैन मंदिर के पास, बिजनौर (उ.प्र.)

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