Book Title: Anekant 1991 Book 44 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 2
________________ राजधानी में जैन समाज द्वारा : न्याय प्रतिष्ठा समारोह न्यायमूर्ति श्री मिलापचन्व जैन का सम्मान २४ फरवरी । "भारत की न्याय प्रणाली जैनधर्म के सिद्धान्तों पर आधारित है ।" उक्त उद्गार उच्च न्यायालय के पीठासीन मुख्य न्यायाधीश न्यामूर्ति श्री मिलापचन्द जैन ने दिल्ली जैन समाज के तत्त्वावधान में आयोजित अपने स्वागत सम्मान के अवसर पर प्रकट किये। यह आयोजन वीर सेव मन्दिर के सदस्यों की ओर से दरियागंज स्थित जैन सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के प्रांगण में हुआ । यह पहला अवसर है जब दिल्ली उच्च न्यायालय में किसी जैन ने मुख्य न्यायाधीश के पद को सुशोभित किया है । इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यानन्द जी का आशीर्वाद श्री विमल प्रसाद जैन द्वारा पढ़कर सुनाया गया। समाज के वयोवृद्ध कार्यकर्ता रा. सा. श्री जोती प्रसाद जैन ने माल्यार्पण करके न्यायमूर्ति श्री मिलापचन्द जैन का स्वागत किया । वरिष्ठ पत्रकार एवं समाज के लोकप्रिय नेता श्री अक्षयकुमार जैन ने स्वागत भाषण पढ़ा। समारोह में पूर्व न्यायमूर्ति श्री यू. एन. भछावत, श्री जे. डी. जैन, श्री ज्ञानचन्द जैन व श्री सौभाग्यमल जैन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। दिल्ली उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री सागरचन्द जैन के साथ-साथ दिल्ली स्थित सभी जैन न्यायाधीशों का इस अवसर पर स्वागत किया गया। समारोह की अध्यक्षता पूर्वं न्यायमूर्ति श्री मांगीलाल जैन ने की। दिल्ली जैन समाज के अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द जैन, वीर सेवा मन्दिर के पूर्व अध्यक्ष साहू श्री अशोककुमार जैन, पूर्व निगम पार्षद श्री प्रकाशचन्द जैन, जैन कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन श्री महेन्द्रकुमार जैन व श्री शीलचन्द जौहरी ने न्यायमूर्ति श्री मिलापचन्द जैन का स्वागत पारंपरिक ढंग से किया । श्री 'बाबूलाल जैन ने "अनेकात" के अंक भेंट किये । समारोह का शुभारम्भ पं० जुगलकिशोर मुख्तार (संस्थापक वीर सेवा मन्दिर ) द्वारा रचित मेरी भावना के पाठ से हुआ । इसे जैन सीनियर सेकेण्डरी स्कूल के बच्चों ने सस्वर गाकर प्रस्तुत किया । मंगलाचरण श्रीमती अनीता जैन ने किया और श्री ताराचन्द प्रेमी ने कविता पाठ किया । वीर सेवा मन्दिर के अध्यक्ष श्री शान्तिलाल जैन ने अतिथियों का आभार प्रकट किया। समारोह का संचालन संस्था के महासचिव श्री सुभाष जैन ( शकुन प्रकाशन) ने किया। समारोह में दिल्ली जैन समाज के कई सौ गणमान्य नेताओं-कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त बाहर के भी बहुत से प्रमुख जैन उपस्थित थे। समारोह के पश्चात् सभी अतिथियों का सामूहिक प्रीतिभोज सम्पन्न हुआ और अतिथियों को वीर सेवा मन्दिर का साहित्य भेंट किया गया । श्री भारतभूषण जैन ऐडवोकेट व श्री नन्हेंमल जैन ने अतिथियों की अगवानी की। आजीवन सदस्यता शुल्क । १०१.०० ३० वार्षिक मूल्य : ६) प०, इस अंक का मूल्य : १ रुपया ५० पैसे विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र होते हैं। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक मण्डल लेखक के विचारों से सहमत हो। पत्र में विज्ञापन एवं समाचार प्रायः नहीं लिए जाते ।

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