Book Title: Anekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 275
________________ बबुराहो के जन मन्दिर मेर- तिस पर उत्कीर्ण गरेवियां ९ . सिथित है । तीसरी और चौथी बायो भुजामों में क्रमश: निचली दाहिनी व बायी भुजामो मे क्रमशः बरद मुद्रा अनुश (?) मोर कलश (?) उत्कीर्ण है। डोर-लिटल के मोर शख प्रदर्शित है। डोर लिटम के दोनों कोनों पर दोनो कोनों पर जैन देवियों के स्थान पर तीर्थंकरो की बिका की चतुर्भज पाकृतिया उत्कीर्ण है, जिनके हाथों संक्षिप्त (खड़ी) प्राकृतिया उत्कीर्ण है। मे प्रदर्शित प्रतीक समान है। चरण के समीप देवी का एक विशिष्ट डोर-लिटन सप्रति पुरातात्विक संग्रहा- वाहन सिंह उत्कीर्ण है, मोर शीर्ष भाग में भी प्राम्रफल से लय (जार्डेन संग्रहालयः नं. १४६७) में संगृहीत है युक्त टहनिया अंकित है । प्रबिका के ऊपरी दाहिनी व (चित्र स०-१)। मध्य में गरुड़ पर प्रासीन चतुर्भज बायी भुजामो मे कमल पोर पुस्तक प्रदर्शित है और निचली चक्रेश्वरी को प्राकृति उत्कीणं है । देवी की ऊर्ध्व दाहिनी दाहिनी में आम्रखंब पोर बायी भुजा से गोद में बैठे बालक व बायी भुजाओं में क्रमशः गदा और चक प्रदर्शित है, को सहारा दे रही है। जबकि निचली दाहिनी भुजा से वरद मुद्रा व्यक्त है । देवी एक अन्य विशिष्ट उदाहरण शातिनाथ मंदिर के की निचली वाम भुजा सप्रति खण्डित है। बाये कोने की अन्दर स्थित मंदिर नं०११ के प्रवेश द्वार पर देखा जा चतुर्भज माकृति २२वे तीर्थंकर नेमिनाथ की यक्षी अंबिका सकता है। मध्य मे चक्रेश्वरी की षष्ठभुजी प्राकृति उत्कीर्ण का चित्रण करती है। देवी ने दो ऊपरी भुजामों में सनाल है, जो अन्य चित्रणों के समान ही गरुड पर ही भासीन कमल धारण किया है, जबकि निचली दाहिनी मजा मे है। देवी के ऊपरी चार भुजामो मे चक्र प्रदर्शित है, जबकि पाम्रलंबि चित्रित है। देवी का निचला वाम हस्त बायी निचली दाहनी व बायी भुजामों में क्रमश: वरद मुद्रा और गोद मे बैठे बालक को सहारा दे रहा है । बालक अपने शंख स्थित है । बायी भोर की लक्ष्मी की चतुर्भज प्राकृति हाथों से देवी का स्तन स्पर्श कर रहा है । देवी के दाहिने ऊध्वं भाग मे दो गजों द्वारा अभिषिक्त हो रही है । देवी पाव में मासीन एक प्राकृति, जिसकी भुजामों मे फल की ऊपरी दो भुजाभो मे कमन पोर निचली में अभयप्रदर्शित है, की पहचान देवी के दूसरे पुत्र से की जा मुद्रा (दाहिनी) भोर कमण्डलु (बायी) प्रदर्शित है। सकती है । देवी के शीर्ष भाग में पाम्र फल से युक्त दह- दाहिनी मोर की प्राकृति चतुभंज सरस्वती का अंकन नियां भी चित्रित हैं, जिसके मध्य एक संक्षिप्त जिन मूर्ति करती है । देवी की ऊपरी दाहिनी व बायी भुजाओं में उत्कीर्ण है। देवी के पासन के समीप ही उसका वाहन क्रमशः कमल पोर पुस्तक प्रदर्शित है, जबकि निचले दोनों सिंह उत्कीर्ण है । दाहिने कोने की चतुर्भज भाकृति २३वें हाथो में वीणा स्थित है। तीर्थकर पाश्वनाथ की यक्षी पद्मावती का अकन करती एक अन्य विशिष्ट उदाहरण नवीन मदिर में नं० २४ है। शीर्ष भाग में सप्त सर्प फणों के घटाटोपों से के प्रवेश द्वार पर देखा जा सकता है । लताबिब को पाच्छादित देवी के ऊपरी व निचली दाहिनी भुजानो में चतुर्भज मानि की दाहिनी ऊपरी व निचली भुजामों में क्रमश: पाश और वरद मुद्रा प्रदर्शित है, जबकि ऊपरी क्रमश. कमल और वरद मुद्रा प्रदर्शित हैं। देवो की ऊपरी वाम भुजा मे अकुश चित्रित है। देवी की निचली भुजा बायां हाथ खण्डित है, जबकि निचले मे कमण्डलु धारण भग्न हो चुकी है। देवी के चरण के समीप उसका वाहन किया है । देवी की संभावित पहचान लक्ष्मी से की जा इस चित्रित है। यहां यह ध्यातव्य है कि ग्रथों में देवी का सकती है। बायी ओर की प्राकृति के दोनों दाहिनी वाहन सर्प या कुक्कुट वणित है । इस डोर-लिटल को भुजामों में कमल (ऊपरी) और वरद मुद्रा (निचली) निश्चत रूप से ११वी शती के प्रारंभ मे तिथ्यांकित किया प्रदर्शित हैं । देवी के दोनों वाम हस्त खण्डित है। देवी के जा सकता है। दाहिने पार्श्व में उसका वाहन मयूर उत्कीर्ण है, जिसके आदिनाथ मदिर के संग्रहालय में स्थित एक डोर- प्रांधार पर इसकी पहचान सरस्वती से की जा सकती है, लिटल में मध्य में चतुर्भूज चक्रेश्वरी की गरुड़ासीन मूर्ति और माना जा सकता है कि देवी के खण्डित दोनों हाथों उत्कीर्ण है। देवी की ऊपरी दोनों भुजाएं खण्डित हैं, पौर में पुस्तक और कमण्डलु स्थित रहा होगा। दाहिनी मो.

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